SIDDHI   (|Adhur!£ikhawat|)
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Joined 16 January 2020


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Joined 16 January 2020
11 OCT 2023 AT 10:32

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30 JAN 2022 AT 17:33

♥️Unconditional♥️— % &

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29 JAN 2022 AT 12:01

❤️uncond!tional❤️
जो तुम्हारा है , हर हाल में ''तुम्हारा'' ही रहेगा..!!
'यक़ीन' रखना 'दुआ' करना, 'साथ' और 'प्यार' माँगना..!!
मोहब्बत को महज़ कमज़ोरी मत लिखना, ताक़त लिखना..!!
"फक्र बनना" यार एक दूजे का, कभी मत 'हार' मानना..!!— % &

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28 JAN 2022 AT 11:36

🔥..You are Youth..🔥
बुढ़ी- तरसती आँखों के साथ बैठना उनकी का 'नज़ारा' बन जाना..!!
जिसने दुनिया में लाया तुम्हे, उनकी आँखों का 'तारा' बन जाना..!!
डूबते को बचा सको तो बचाना.. तुम ओ 'किनारा' बन जाना..!!
जीना सीखाना टूटना मत, किसी गिरते का 'सहारा' बन जाना..!!
अपनों में लड़ जीतना मत, वहाँ तुम कभी इंसान 'हारा' बन जाना..!!
मोहब्बत वतन से या इंसान से, रिश्ता तुम 'प्यारा' बन जाना..!!
दामन अपना पावन रखना, हिम्मत में 'मै' से 'हमारा' बन जाना..!!
काम आना जिनको असल ज़रूरत है, भले वहा 'खारा' बन जाना..!!
क़िस्मत ,दुश्मन को अफ़सोस हो,चलकर नदी की 'धारा' बन जाना !
इंसान रहे, इंसानियत के संग...दौर नही तुम एक 'ज़माना' बन जाना..!!— % &

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28 JAN 2022 AT 11:25

❤️₹adheK₹!shna❤️
जब एक दीवाना लिखते हो..एक "दीवानी" लिखते हो..!!
जब दो जिस्म एक जान को तुम 'ज़िंदगानी' लिखते हो..!!
जब खुद को "कान्हा" और मुझे "राधारानी" लिखते हो.. !!
झूठे ! 'मुझे जोड़ खुद-से' 'हमारी' कहानी लिखते हो ..!!— % &

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26 JAN 2022 AT 16:32


सांस जब तक़लीफ़ देती हो,तब अश्क़ो भरा मन में एक 'डर' होता है..!!
ऐसा तब होता है साथ मेरे, 'जहा मेरा होना न होना 'बराबर' होता है.!!
✍️

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26 JAN 2022 AT 9:14

देशभक्ति सिर्फ तारीखों पर क्यों, साहब ..
हर सांस में वतन का 'स्वाभिमान' लिखूँगी..!!

हाँ, दुश्मन के सीने पर चढ़ कर..
''जय जय जय हिन्दुस्तान'' लिखूँगी..!!
❤️

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25 JAN 2022 AT 9:55

♥️BL€SS M€♥️
बिखर रहा हर कोई, चल तक नहीं पा रहा..!!
खुदा , कैसी 'नगरिया' या कैसी 'डगरिया' बना रहा है..!!

दर्द में हो 'अपना' 'अपनें' को नहीं समझता, कैसा तू देखने का सबका 'नज़रिया' बना रहा हैं..!!

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24 JAN 2022 AT 9:45

✍️....✍️

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22 JAN 2022 AT 19:29

❤️..shukriya Zindgi..❤️
मौत मेरी चाहत नहीं रही कभी से
मगर मेरा यहां जीने का मन नहीं करता..!!

'खामोशी' से महज आँखे नम रह गयी, दिल नहीं भरता..!!
यहां गलतफहमी,झूठ फैला बस..सच को खुद साबित पड़ता..!!

बात का मतलब कोई नही समझ पाता..
बिन मतलब की बात कौन नही करता..!!

खोने पाने इस भागती इस दुनिया में आज..
कौन है यहां जो अपनों को खोने से नहीं डरता..!!

दर, डर, घर, सर..कोई तो वजह बन ही जाती है_
जीना पड़ा यहां कोई चाहकर तो नहीं मरता..!!

मेरी हालत मेरे हालात...उम्र नहीं बताएगी यूँ समझिएगा..
तकलीफ में लिखावट मेरी, वरना यूँ कलम ज़िक्र नहीं करता..!!

मैं अगर 'मर' जाऊं तो कायर कहने में पीछे नहीं हटेगा ये जमाना..
साहब जी..'साँसे' भारी पड़ती है वरना कोई ''खुदखुशी'' नहीं करता..!!

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