SIDDHI 🌸   (Siddhi's poetry❤️)
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Joined 8 April 2019


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28 FEB 2020 AT 9:45

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

-


28 FEB 2020 AT 4:08

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:08

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:08

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:03

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:03

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:03

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:03

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:03

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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28 FEB 2020 AT 4:03

रातों के अँधेरे में जो सुकून है...
वो दिन के उजालों में कहाँ।
जो सुकून तारों से बातें करके वक़्त गुज़ारने में है...
वो लोगों से बातें करने में कहाँ।

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