Siddheshwar Ghante   (सिद्धेश्वर घंटे)
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Joined 10 September 2019


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23 JAN 2021 AT 9:25

इस दुनिया में श्रीराम है,
श्रीराम का नाम है,
इसलिए हम है।

जहाँ राम वहाँ हम ।

SIDDHESHWAR GHANTE

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15 MAY 2020 AT 10:25

कोयल की वह मधुर ध्वनि,
मन ही मन प्रसन्न करती है यह ध्वनि।

नदी का बहता पानी,
राह में पत्थरों से टकराता बहता पानी,
झरने से उत्पन्न होनेवाली ध्वनि,
मन ही मन प्रसन्न करता है पानी।

सूरज की वह पहली किरन,
जिसे देखती हिरन,
होता है जब दोनों का दर्शन,
मन ही मन प्रसन्न होता करके उनका दर्शन।

मंदिर की वह सुंदर मूर्ति,
मिट्टी और पत्थरों से बनी हुई मूर्ति,
जिसकी सबसे बड़ी है कीर्ति,
मिट्टी से बनी यह धरती,
मन ही मन प्रसन्न करती।

आसमान में उड़ती चिड़ियाँ,
फूलों पर बैठनेवाली,रंगीन-बेरंगीन
तितलियाँ,
जिसे आँखे देखा करती,
देखकर आँखे मन ही मन प्रसन्न करती।

समंदर के किनारे पर चलना,
समंदर की लहरों में भीगना,
भीगकर मन ही मन प्रसन्न होकर खेलना।

विशाल है ये धरती-गगन,
चारों दिशाओं में बहती
ये ठंडी ठंडी पवन,
मन ही मन करती है ये प्रसन्न,
इन्हें शतः शतः नमन।

प्रकृति की है कई सारे नाम,
परिवर्तन और चलते रहना है इनका काम,
प्रकृति ने दिया हम यह जीवन,
प्रकृति को मेरा शतः शतः नमन।

कैसी लगी मेरी कविता पढ़कर
बताना मुझे,मैं हूँ सिद्धेश्वर...........

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5 MAY 2020 AT 22:31

अपनी भूल को स्वीकार करने के लिए साहस की आवश्यकता होती है।

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5 MAY 2020 AT 22:26

जितना प्रयास शारीरिक हेतु करना पड़ता,उससे कई अधिक प्रयास की आवश्यकता मानसिक और आद्यात्मिक कार्य में होता है।अपने आराध्य पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है।समर्पण सरल नही है।

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4 MAY 2020 AT 22:24

मुझमे है तेरा ही जुनून,
तुझ से ही है मुझे सुकून।
तेरी खुशी मेरी खुशी,
तेरा गम मेरा गम,
तेर बिन कुछ भी नही हम,
बिन तेरे मर जाए हम।

हर पल अब तेरी बात सुनू,
मुझमे है तेरा ही जुनून,
तुझ से ही है मुझे सुकून।

मेरे जीवन का हर रंग ,
तेरे बिना है बेरंग,
तेरे संग ही हर रंग में मैं रंगु,
हर जनम में मैं तेरा ही बनु,
मुझमे है तेरा ही जुनून,
तुझ से ही है मुझे सुकून।

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25 FEB 2020 AT 23:12

मेघ वर्ण है उनका,
नारायण नाम उनका,
वो सुदर्शन चक्र धारी है।
तीनो लोगों पे अधिपत्य है।
जग है मिथ्या,सब है मिथ्या,
नारायण ही नाम सत्य है।
वो दशवतारी है,सहस्त्र उनके नाम है।

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25 FEB 2020 AT 22:57

ना आदि ना अंत है ये तो अनंत है।
निष्कंठ में जिनके नीलकंठ है।
वो देव है सदैव है।

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23 JAN 2020 AT 0:18

सुदर्शन चक्र जब उठता है,तो अपने लक्ष्य को पूर्ण करके ही लौटता है।

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31 DEC 2019 AT 14:36

कर्म ही सबका आधार है।

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28 DEC 2019 AT 22:45

सबसे अच्छा युद्ध वही है,जो कभी लढ़ा ही न जाए।

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