देख लो मोहब्बत मेरी,
सौ में सौ ना आए तो कहना।।-
यूं तेरा रूठना बहुत तकलीफ देता है।।
कौन कितने पानी में है,
अभी तो खूब कहते हो
बेइंतहा मोहब्बत है तुम्हें मुझसे।।-
तुम अगर आना चाहो वापस तो आओ,
लेकिन ख़्याल रहे,
अबके लौटे तो मैं मैं नहीं रहूँगा।।
तुम खूब कहते थे ना
कि
मैं जैसा हूँ पसंद हूँ तुम्हें,
अब लेकिन बदल गया हूँ तुम्हारे जाने के बाद,
शायद पसंद ना आऊँ अब तुम्हें।।
इसलिए कहता हूँ,
अबके गए तो गए,
अब लौट के मत आना।।
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ये ज़िम्मेदारियों का बोझ भी अजीब होता है साहब,
इसको जो उठा ले वो खुद-ब-खुद समझदार हो जाता है।।-
इस दुनिया में जो भी होता है जायज़ नहीं लगता,
अब अपना कोई मुझको शायद नहीं लगता,
ना मालूम किस कसमकश में खोया रहता हूँ मैं,
जानता हूँ कि सपना है, पर सपना नहीं लगता।।।-
एक हसीन ख्वाब ही होगी ज़िन्दगी शायद जो आप मिले हो,
इतना खुशनसीब वरना मैं तो नहीं हो सकता।।।-
मोहब्बत भी अजीब की है उसने मुझसे,
मैं उसका तो हूँ, पर वो मेरी नहीं।।।-
चेहरा ही पढ़ती हो सिर्फ़,
जो नाराज़गी समझ जाती हो,
कभी आँखे पढ़ने की कोशिश करो,
प्यार समझ जाओगी।।
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इंसान एक ऐसी कठपुतली है,
जिसकी डोर भी उसके हाथों में ही है।।
जिस ओर जाना चाहे जाए, जो करना चाहे करे।।
बस ख्याल रहे,
कठपुतली का हर एक मोड़,
इस रंगमंच पर उसकी अहमियत,
बनाता और बिगाड़ता है।।
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अँधेरो से शिकायत करु भी तो कैसे,
ख्वाहिश भी तो मुझे चाँद की थी।। 🎑-