थम सी गयी थी ज़िंदगी कुछ फ़ुर्सत में चाहता हूँ आशिक़ था पर अब शहीद हूँ अपनी माँ की गोद में बस सोना चाहता हूँ
कर्म था मेरा तेरी सेवा करना शिद्धत से मैंने अपना धर्म निभाया रिन था तेरा मुझपे कुछ ऐसा जिसे में अपने प्राणो से भी ना उतार पाया बस ख़ुशी है इस बात की ऐ माँ की पहले में तेरा आशिक़ था पर अब शहीद हूँ
परमाणु परीक्षण कर पोखरन में जिसने गीत नया गाया था पूरे विश्व में जिसने भारत का लोहा मनवाया था आज वो भारत का लाल चैन की नींद सोया है भारत माता ने आज अपना एक और लाल खोया है
बारिश की बूँदे जो चूमी आज धरा को मधोशि भरा नज़ारा हमें देखने को मिला खो गये हम फिर आज अपने बचपन में जहाँ हमें काग़ज़ की कश्ती का मोल पता चला
बचपन के खेलो में बारिश में खेलना कुछ निराला था कश्ती डूब जाने पर रोना और पार होने पर नाचना हुआ करता था वो भी एक मंज़र था जब दोस्तों के साथ बारिश में घूम लिया करते थे और बारिश के बाद समोसे जलेबी की पार्टी किया करते थे
कही खो गये है हम आज दुनिया की भीड़ में अब बारिश की बूँदो को खिड़कियों से देखा करते है ढूँढते है आज भी अपनी काग़ज़ की कश्ती को उन बच्चों में जो आज भी बारिश में काग़ज़ की कश्ती से खेला करता है