Siddharth Singh  
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Joined 21 December 2016


Joined 21 December 2016
5 JAN 2017 AT 8:49

I'm awake. I'm just giving my bed one last hug.

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4 JAN 2017 AT 10:39

कितने नासमझ है वो हँसते है हमारे उदास चेहरे पर,
कम्बख़्त कोई उनको ये तो बताये की इस उदासी का कारण वो ही हैं।

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4 JAN 2017 AT 10:23

शायर हूँ क़लम की क़दर करना लाज़मी हैं
मगर रूखसत है अब क़लम तेरे ना होने पर

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3 JAN 2017 AT 23:41

शमा की लौ मैं, शराबों मैं तुम्हें देखा है,
वक़्त के हसीन नज़ारों मैं तुम्हें देखा है,
देखा है तुम्हें उन दीवानो की आँखो मैं,
जो तुम्हारे दीदार के लिए क़तार लगाया करते है !!

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2 JAN 2017 AT 18:49

मत खेल मेरे तमन्नाओं के समुन्दर से ऐ-दोस्त
तुझे समुन्दर मैं तूफ़ान आने का एहसास नहीं है
इतनी ख़बर रखने कि तकल्लुफ़ तो कर ऐ-दोस्त
मेरे अरमान मेरा ज़मीर है तेरे खेलने का कोई खिलोना नहीं है!!

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27 DEC 2016 AT 21:41

आख़ीर सीख ही लिया तेरे बिना राह चलने का गुर,
तकलीफ़े तो बहुत हुई पर हम अनजाने मैं इसे शौक़ बना बैठे।।

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23 DEC 2016 AT 22:09

हमने आज उनसे मिन्नत-ऐ- कर उनका हाल जो पूँछा,
तो जनाब का जवाब आया कि क्यूँ पीछे पड़े हो,
हमने उनसे इस बेरुख़ी का जवाब माँगा,
तो जवाब यूँ आया कि क्यूँ पीछे पड़े हो,
ख़ून का घूँट पी कर हम अपनी मोहब्बत का इम्तिहान देते गए,
और वो ना-समज ये ही बोलते रहे,
की " क्यूँ पीछे पड़े हो " ।।

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16 FEB 2019 AT 0:26

थम सी गयी थी ज़िंदगी कुछ फ़ुर्सत में चाहता हूँ
आशिक़ था पर अब शहीद हूँ
अपनी माँ की गोद में बस सोना चाहता हूँ

कर्म था मेरा तेरी सेवा करना
शिद्धत से मैंने अपना धर्म निभाया
रिन था तेरा मुझपे कुछ ऐसा
जिसे में अपने प्राणो से भी ना उतार पाया
बस ख़ुशी है इस बात की ऐ माँ
की पहले में तेरा आशिक़ था पर अब शहीद हूँ

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3 FEB 2019 AT 2:50

ख़ामियाँ ना गिन मोहब्बत में,
किसने क्या गुनाह किया,
इश्क़ एक मदहोशि हैं,
तूने भी किया और मैंने भी किया

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31 JAN 2019 AT 23:50

I still fall for that moment when you tighten the grip over my fingers while we are talking through our eyes

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