17 JUL 2018 AT 21:27

ज़िन्दगी ने गुफ्तगू कुछ इस तरह की...
कि हम जीने के मायने ढूँढ़ते रह गएे...
और वो बीते पलों का हिसाब देकर चली गई...

हमने रोकना चाहा बहुत...
की कुछ और देर गुफ्तगू कर ले...
पर वो एक-एक लम्हे को जीने का...
मशवरा दे कर चली गई...

- सिद्धार्थ