siddharth singh   (सिद्धार्थ)
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मेरी शख्सियत...मेरे अलफ़ाज़.....
Joined 11 July 2017


मेरी शख्सियत...मेरे अलफ़ाज़.....
Joined 11 July 2017
22 MAR AT 11:39

अब वह बात नहीं तुम में जो कभी दिल धड़काया करती थी….
अब तो यूहीं बस देख लिया करते हैं ….

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27 SEP 2021 AT 18:31

रोना आए तो रो न सकें...
कहना चाहें तो कह न सकें...
समझाना चाहें तो समझा न सकें...
ऐ खुदा दर्द देना है तो देदे...
साथ में कुछ ऐसा कर की जी न सकें...

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14 AUG 2021 AT 21:57

खुदा की रहमत कह लो...
या फिर किसी फ़क़ीर की दुआ...
हमारी किस्मत कह लो...
या फिर हमारे यार कि दुआ...
अब तक सिर्फ जी रहे थे ये कह लो...
उड़ने लगे जब उनके आने का सबब हुआ...


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6 AUG 2021 AT 15:43

मेरा जिस्म तेरे जिस्म से पूछता है कि तू मेरा है...
फिर भी मेरा नहीं???
फिर तेरा तब्बसुम जिस्म में सिहरन देकर मेरी रूह को छूकर कहता है...
अब बता तेरा है के नहीं???

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11 JUL 2021 AT 11:31

मोहब्बत तो वो किस्सा है,
जो हर दिल को लुभाता है...
पर सच्ची मोहब्बत का किनरा
तो तभी मिल पाता है...
जब सच्चा दिल,
सादगी के साथ मिल जाता है...
वरना दिखावटी दिल वाला खिलौना
तो हर बाजार बिकता दिख जाता है...

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11 JUL 2021 AT 8:38

सादगी तो देखिये जनाब की...
कितनी मासूमियत से जिस्म और रूह को
अपना बना लिया...
शख्स थे हम बहुत मामूली से...
बादशाह-ऐ-मोहब्बत बना दिया...

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9 JUL 2021 AT 15:27

इश्क़ का नाम तो बदनाम काफ़िरों ने किया...
वरना इससे बड़ी इबादत कुछ नहीं...

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12 MAR 2021 AT 21:28

अंदाज़-ऐ-ताबुस्सम तो देखिये जनाब का...
बेज़ुबाँ रूह भी बोल पड़ती है...

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12 MAR 2021 AT 21:18

इक सैलाब सा थामे रखा है जज़्बातों का...
वरना कुछ अपने बह जाते...
इक डोर सी बांधे रखी है अपने होंसले की...
वरना कुछ मोती बिखर जाते...

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26 JAN 2021 AT 20:49

ऐ खुदा तुझसे शिकायत करूँ भी तो क्या करूँ...
मेरी रूह से निकली हर नज़्म में तू जो बसा है...
जी रहा हूँ कुछ उलझनों के जवाब की जुस्तुजू में...
हो सके तो बता दे, क्यों इस आडम्बर में फसा हूँ...

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