Siddharth Saurabh   (Siddharth)
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Joined 1 February 2018


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27 APR AT 23:15

एक "स्पर्श" जैसा है हमारा "प्रेम",
ना ही अलग होते हैं हम कभी,
और ना ही जकड़न महसूस होती है !
शायद ये "प्रेम" का सबसे भावुक पल है,
जहां हम एक दूसरे को बिना क़ैद किए,
एक दूसरे में हमेशा "आज़ाद" रहते हैं !!



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4 APR AT 0:19

तेरे "शहर" से कहो,
बेवजह शोर ना करे,
हमने इक "ख़ामोशी" को,
ख़ुद में पनाह दी है !!

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2 APR AT 23:08

"सफ़र" के इक मोड़ पर आज ,
इक "सुकूं" से मुलाक़ात हुई ,
फ़िर साथ बैठे हम दोनों ,
और घंटों बात हुई !!

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10 MAR AT 23:41

एक टूटे हुए "ख़्वाब" की कितनी कीमत होगी?
शायद "शून्य" !
क्यूंकि वो टूट गया इसलिए?
हां, टूटे हुए चीज़ों की कीमत कहां होती है !!


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12 DEC 2023 AT 21:29

यादों का एक पुराना "शहर" होता है "एल्बम",
जहां कहानियां हमेशा ताज़ा होती हैं !
आज उसी "शहर" में, घूमने निकला हूं मैं ।
उस "घर" की दीवार आज भी वैसी ही है इस शहर में,
जैसे मैंने सजायी थी, कुछ सालों पहले !
मेरा उसके हाथों को चूमना....
वो अब भी आज़ाद हैं यहां ,
जैसे मानो कल की ही बात हो !
इस शहर की सारी गलियों में, सारे चेहरों में ,
मैं मुस्कुराता हुआ दिख रहा हूं ,
जैसे मानो, सबने मुझे ज़िंदा कर दिया हो !

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24 NOV 2023 AT 23:02

"शाम" का "रात" में चुपके से ढलना ,
मैंने क़रीब से देखा है आज !!

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13 NOV 2023 AT 21:52

"सत्य" और "असत्य" के बीच का ,
मैं इक ख़ामोश "मुसाफ़िर" हूं !
मेरे भीतर "पाप" और "पुण्य" का ,
इक गहरा "समुंदर" है !!

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4 NOV 2023 AT 12:22

तुम्हारी "बातें" जब करनी हो तो ,
ख़ुद से बात कर लेता हूं ,
मैं अब अक्सर "तुमको" ,
लिख कर याद कर लेता हूं !!

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28 OCT 2023 AT 19:04

मैं बैठा रहा इस फ़िराक में ,
कि कोई तो "नज़र" ख़ामोश मिले !
"इंतज़ार" लंबी होती गई पर ,
"शोर" का रुकना कम ना हुआ !!

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13 OCT 2023 AT 0:20

इस रात की काली "चादर" में ,
सुबह का भारी "बोझ" पड़ा है !
मेरे भीतर के इन "सन्नाटों" में ,
बस बाहर का "शोर" भरा है !!

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