Siddharth Puri   (Siddharth Puri)
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Achieve - Inspire - Smile - Greet
Joined 11 March 2017


Achieve - Inspire - Smile - Greet
Joined 11 March 2017
16 SEP 2017 AT 22:50

Stay calm and cool..

Coz everyone
Wants to visit a silent shore
Rather than
Visiting them at the time of tide.

As tides might shook the ocean
ANGER can shook you too.

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10 JUN 2020 AT 0:11

There are no miracles in life.
Just the ones you create.

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24 MAY 2020 AT 16:17

सरकारों से मदद की गुहार लगाई जा रही है।
बीस लाख करोड़ की रकम
चार किश्तों में समझाई जा रही है।

एक मां आज फिर ये कहते हुए रो पड़ी,

वो बेटा मेरा अब तक घर नहीं आया,
जिसकी फ़ोटो न्यूज़ चैनलों पर
चार दिन से आ रही है।

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19 MAY 2020 AT 0:31

इरादे का कोई कितना ही पक्का हो,
हंसी में फिक्र कहाँ छुपाई जाती है,

जो गुरबत में है,
ये तो वो ही जानता है

बिस्तर पे चादर
अकेले कैसे बिछाई जाती है ।




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25 APR 2020 AT 18:06

बेवक्त, बेपरवाह
तुम जो चले आते हो।
हमको ये मिज़ाज़ मोहब्बत सा लगता है।

तुम्हारा बताकर जाना भी अब तो
न जाने क्यों हमको आफत सा लगता है।

यूँ तो शफाकत को मेरी तुम शरारत कह देते हो।
मुझे तो तुम्हारा फरेब भी शराफत सा लगता है।




#sporiginals
#pen_and_pepper

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19 APR 2020 AT 16:28

बहुत मर्तबा पहुंच कर देखा है मैंने उस कामयाबी की मंज़िल तक ।
हर दफा कमबख़्त कुछ और दूर लगती है |

जब मिल जाती है मन्ज़िल कुछ दूर चलने के बाद
वो मील का पत्थर लगती है।


#sporiginals
#pen_and_pepper

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15 NOV 2019 AT 13:49

...

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10 JAN 2019 AT 0:31

तुम्हें लगता होगा ये आसान
ये इतना आसान होता नहीं है|

महज़ आँखे बंद करता है वो
कोट पैंट वाला नौकर

चैन से कभी
वो सोता नहीं है ||



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8 DEC 2018 AT 0:04

कि दूर कहीं आतंकवादी
अब कैसी चर्चा करते हैं

कुछ कहते हैं बंदूकें लो
कुछ बम से बस्ते भरते हैं

करने की हमला भारत पर
कुछ ऐसी मंशा रखते हैं

इसी बीच वो जब अपना टीवी ऑन करते हैं
जब अखबारों में भारत के बुलंदशहर जैसी खबरें पढ़ते हैं|

छोड़ छाड़ के सारे बम बस्ते
कुछ हंसी ठिठोली करते हैं
कहते हैं बम की ज़रूरत क्या
चारे से बस्ते भरते हैं

काट के गाय भैंसे इन मूर्खों को लड़वा देंगे
हम क्या लगाएंगे इनके देश में आग
ये खुद अपने घर जला देंगे

ये खुद अपने घर जला देंगे ||

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8 DEC 2018 AT 0:03

कि दूर कहीं आतंकवादी
अब कैसी चर्चा करते हैं

कुछ कहते हैं बंदूकें लो
कुछ बम से बस्ते भरते हैं

करने की हमला भारत पर
कुछ ऐसी मंशा रखते हैं

इसी बीच वो जब अपना टीवी ऑन करते हैं
जब अखबारों में भारत के बुलंदशहर जैसी खबरें पढ़ते हैं|

छोड़ छाड़ के सारे बम बस्ते
कुछ हंसी ठिठोली करते हैं
कहते हैं बम की ज़रूरत क्या
चारे से बस्ते भरते हैं

काट के गाय भैंसे इन मूर्खों को लड़वा देंगे
हम क्या लगाएंगे इनके देश में आग
ये खुद अपने घर जला देंगे

ये खुद अपने घर जला देंगे ||

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