तुम्हारी यादों को ढोते ढोते मैं अब उनमे अटक गया हूँ,
सबको रास्ता बताता था और मैं ही अब भटक गया हूँ-
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आंख खुलते ही जो कोई नाम तेरा लेले
तो उससे बेहतर सुबह और क्या होगी-
सन्नाटो में भी जो शोर मचा देती है,
ऐसी खामोशी सबकुछ मिटा देती है।-
तुम्हारा शीशा ही टुटा तो अभशगुन हो गया,
मेरा तो दिल था टुटा और हुआ कुछ भी नहीं।-
तेरी आदत है इस तरह की जैसे नींद हो तुम,
सच कहूं तुम्हारे बिना अब नींद भी नहीं आती।-
है खिड़कियां खुली तो खुली ही रहने दो,
उसकी खुशबू मेरे जिस्म से नहीं जाने वाली।-
ज़हर से ज्यादा खतरनाक हैं इश्क "शुभम"
जरा सा कोई चख ले तो मर-मर के जीता हैं-
बन्द कर सारी बत्तियों को वो,
मुझको ही गुनगुना रही होगी।
अपने हाथों से ही लिपट कर के,
मुझको कुछ यूँ बुला रही होगी।
देखकर फ़ोन पर मेरी फोटो,
खूब आँसू बहा रही होगी।
कोई देखे न उसे यूँ इसलिए,
आँसुओ को छुपा रही होगी।-
इश्क ने इस कदर तन्हा किया हैं हमे "शुभम"
अब तन्हाइयों को भी हमसे राब्ता सा हो गया-
उनको छोड़ कर और सभी है साथ मेरे
जिनसे उम्मीद थी, की वो मेरे साथ होंगे-