हर पल हर लम्हे हर सांस मैं पुकारा मैंने तुमको फिर भी ना मैने तुमको पाया है ना जाने ऐसी क्या खता हुई है मुझसे जो रब ने मुझको तुझसे अभी तक भी ना मिलवाया है
वो दौर ओर था जिसमें मरने की बात कहने से भी सब डरते थे उस वक्त रूह से प्रेम होता था मन से मन के मिलन की बात करते थे अब किसी के मर भी जाने से किसी कोई फ़र्क नही पड़ता इश्क़ की वजह से लगी चिता की आग मे मरने वाले की सिवा अब ओर कोई नही मरता जिस्म की चाह हो गई है अब लोगों के सीने में इसलिए रूह पे वक्त बर्बाद कोई नही करता