उसके page पर रोज जा कर देखता हूं मैं, आज कितने लोग ने उसकी पैरवी की हैं, और सोचता हूं मै, ये नसीब वाले हैं, उसको देखते हैं, उससे बात करते हैं, ये इजाजतो वाले मुझेसे कितने बेहतर हैं, मैं तो दाग था कोई, जो मिटा दिया उसने; गर मिटा दिया उसने, ठीक ही किया उसने; तुमने हाल पूछा था, लो बता दिया मैंने; जो भी कुछ बताया हैं, उसको मत बता देना; पढ़कर रो पढ़ो तो फिर, इन तमाम लफ्जों को बस गले लगा लेना ।
तुम मेरी फिक्र न करना हरगिज़, मैं बहुत खुश हूं, बहुत खुश हूं यहां...! बात करने के लिए पंछी हैं, दर्द कहने के लिए दीवारे.. दर्द लिखने के लिए अंशू, ख़ुद-कलामी(बातचीत) के लिए तन्हाई; पहरेदारी के लिए साया, कोई दुःख हैं तो बस इतना की यह...! फूल खिलते हैं यहां पर हस्ते नहीं....।।