हम में वक्त गुजर रहा है या बीतते वक्त में हम गुजर रहे है, पता नही। खुशियां हमसे मुकर रही है या खुशियों से हम मुकर रहे है, पता नही। आज कल का आलम तो पूछो मत यारो, उनके अंदर हम या हमारे अंदर वो मर रहे, पता नही।
है ये रात नशीली, या नशे में हम हैं? इस धुएं में उतना नशा नही, जितने दर्द में हम है। और कौन कमबख्त कहता है नशे से दुख दूर होते है, नशे में ही समझ आता है जीने में कितने गम हैं।