shyam prakash maurya   (#SHYAM)
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Joined 5 April 2020


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31 AUG 2024 AT 14:20

आदमी सुकून ढूँढते-ढूँढते मर जाता है,
और
औरतें मिले हुए सुकून से और बेहतर की तलाश में ।।

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17 APR 2024 AT 8:12

ये "अपना घर"
नाम का लब्ज़
कितना अजीब होता है?
आप कहीं भी रहें
और कितना भी दूर रहे
पर "अपना घर" दिल के
बेहद करीब होता है।
जिन्दगी जीने की जद्दोजहद में
थके हो हारे हो या हो हताश
बड़ा सुकून मिलता है, जब हो
"अपना घर" अपने पास।।
श्याम प्रकाश मौर्य

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7 APR 2024 AT 17:08

कहो कहाँ तक साथ चलोगे
श्मशान या जन्नत तक ।।
क्या अपने दिल के पास रखोगे
या फिर मन की मन्नत तक ।।

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25 MAR 2023 AT 18:17

जिसके दिल में आज भी बचपन जिन्दा है,
वो अपने माँ बाप की बाहें थामकर चलता है।

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8 JAN 2023 AT 10:28

प्यार की कश्ती
उमंगों से भरी
विश्वास है अडिग
नहीं लहरों से डरी
रंग हैं जवां
है मस्ती ही मस्ती
ऐसे ही होती है
प्यार की कश्ती।।

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10 FEB 2022 AT 7:25

हे! जिन्दगी तू कतई न उलझ मेरे से
तुझे जीने की मैंने हर हाल में ठानी है।।

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8 FEB 2022 AT 19:42

दोस्ती दवा है,तो
दोस्ती दारू भी है
दोस्ती अनमोल है,तो
दोस्ती बाजारू भी है।

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2 FEB 2022 AT 21:14

लाख कर लो जतन
दूसरों को खुश रखने की
पर हर कोई कहाँ खुश होता है
दिल टूट जाता है मेरे सीने में
और बहने लगते हैं नैन
मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है।

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2 JAN 2022 AT 15:18

हे! मानव
अंतशय्या पर लेटे हुए
तन तेरा स्तब्ध
मुख तेरा मौन है,
जा रहा है छोड़कर
इस सृष्टि को
तू अकेले
सोच तेरे संग
अब कौन है?


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15 DEC 2021 AT 16:26

जिस तरह रात होने के लिए
शाम का ढलना जरूरी है,
उसी तरह मन्जिल तक पहुंचने के लिए
पाँव का चलना जरूरी है ।

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