आदमी सुकून ढूँढते-ढूँढते मर जाता है,
और
औरतें मिले हुए सुकून से और बेहतर की तलाश में ।।-
Job:-Indian Railway centrel Government
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ये "अपना घर"
नाम का लब्ज़
कितना अजीब होता है?
आप कहीं भी रहें
और कितना भी दूर रहे
पर "अपना घर" दिल के
बेहद करीब होता है।
जिन्दगी जीने की जद्दोजहद में
थके हो हारे हो या हो हताश
बड़ा सुकून मिलता है, जब हो
"अपना घर" अपने पास।।
श्याम प्रकाश मौर्य-
कहो कहाँ तक साथ चलोगे
श्मशान या जन्नत तक ।।
क्या अपने दिल के पास रखोगे
या फिर मन की मन्नत तक ।।-
जिसके दिल में आज भी बचपन जिन्दा है,
वो अपने माँ बाप की बाहें थामकर चलता है।-
प्यार की कश्ती
उमंगों से भरी
विश्वास है अडिग
नहीं लहरों से डरी
रंग हैं जवां
है मस्ती ही मस्ती
ऐसे ही होती है
प्यार की कश्ती।।-
हे! जिन्दगी तू कतई न उलझ मेरे से
तुझे जीने की मैंने हर हाल में ठानी है।।-
दोस्ती दवा है,तो
दोस्ती दारू भी है
दोस्ती अनमोल है,तो
दोस्ती बाजारू भी है।
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लाख कर लो जतन
दूसरों को खुश रखने की
पर हर कोई कहाँ खुश होता है
दिल टूट जाता है मेरे सीने में
और बहने लगते हैं नैन
मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है।-
हे! मानव
अंतशय्या पर लेटे हुए
तन तेरा स्तब्ध
मुख तेरा मौन है,
जा रहा है छोड़कर
इस सृष्टि को
तू अकेले
सोच तेरे संग
अब कौन है?
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जिस तरह रात होने के लिए
शाम का ढलना जरूरी है,
उसी तरह मन्जिल तक पहुंचने के लिए
पाँव का चलना जरूरी है ।-