वक्त जब कहने का आया तो हमने बात बताई ना
जो हुई थी गलती हमसे उसने भी वही दोहराई ना।-
वो सामने से गया पर दिखा नहीं
दर्द इतना हसीन था पर बिका नही।
कितनी गजब रोशनी थी आँखो मे उनके
चाँद फलक पर तो आया पर रुका नहीं-
अमलतास की चमक भी तेरे आगे कुछ नही
तु सब कुछ हे मेरा पर मेरा नही।
मै पूरा इश्क़ कुरबान चाहता हूँ उस पे
पर उसके आगे मेरा इश्क़ भी कुछ नही।।-
किनारो पर कशतीया डूबती नहीं
बहारो मे पत्तियाँ टुटती नही।
वो तो इश्क़ ही ज्यादा था उसको मुझसे
वरना छोटी छोटी बातो मे वो रुठ ती नही।।-
रुतबा तुम्हारा अमीर लगता हे
दिल हमारा अब शरीफ लगता है।
देखा था इक रोज तुम्हें पास से
हमे चाँद अब करीब लगता हे।।-
मै उसका हर गुनाह माफ करता रहा
वो नादान फिर भी गुनाह करता रहा।
वो इक ठहरे ताल सि लगती थी
मै इक नदी सा बहता चला गया।।-
इक नजर भर उसने मुझको यू देखा
जैसे नदी के किनारे ने किनारे को देखा।
एक फकीर को हाथ दिखा कर पूछा क्या वो है
आखे खुश्क कर फकीर ने कहा तेरे हाथ में नहीं वो रेखा।।-
मुश्किल ये समय कट जायेगा
फिर लोट सवेरा आयेगा
कोयल कुकेगी बागो मे
दिनकर फिर से मुस्कायेगा।
मैलो मे भिड वही होगी
पंछी की नीड वही होगी
मन्दिर भी शोर सुनायेगा
खुद शंकर डमरू जायेगा।
नदियाँ भी कलकल गायेगी
फूलों पर तितली आयेगी
सागर की गोद भरी होगी
अपनो से ना दूरी होगी
बाजार भिड अपनायेगा
विद्यालय फिर भर जायेगा।-
राम ही राम को मार सके
और राम ही राम को हे जो सवारे।
राम ही राम रटे तुलसी ने
और राम के नाम को खूब विचारे।।-
तेरे आने के वहम से हमने खुद को ज़मीन पे रखा हे ।
तुझे रंग पसन्द हे तो हमने शहर के हर पत्थर को रंगीन रखा है।-