Shyam Narayan Maurya   ($hy@m)
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Joined 20 April 2020


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Joined 20 April 2020
3 APR 2024 AT 23:46

यादें ✍🏻
है किसी की याद ये,
किसी का दिया उपहार है।
हां हकीकत कुछ और है,
पर यादों का भी संसार है।१।
जीवन के इस समयचक्र में,
यादों का ही भरमार है,
लोग बिछड़ते और हैं मिलते,
ये जीवन का विस्तार है।२।

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25 FEB 2024 AT 18:05

आंखों के गलियारे से कुछ ख़्वाब झांकते हैं अब भी।

आस लिए एक नए सुबह की रोज जागते हैं अब भी।।

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25 FEB 2024 AT 17:56

आखिर कब तक चलेगा ये सब,कब तक रूठे रहेंगे अपने,
जीना इक माखौल बना है, कब तक टूटे रहेंगे सपने ।१।
आंखों के गलियारे से कुछ ख़्वाब झांकते हैं फिर भी,
आस लिए एक नए सुबह की रोज जागते हैं फिर भी।२।

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23 JAN 2024 AT 0:33

कितना कुछ चाहकर छोड़ना पड़ता है,
एक विचार को यथार्थ में परिवर्तित करने के लिए।
ख़ुद से कितने ही समझौते करने होते हैं,
एक किरदार को अपना जीवन समर्पित करने के लिए।। 

खास होकर भी आम हो जाना।
आसान नहीं है *राम* हो जाना।।

🙏 जय श्री राम 🙏

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11 JAN 2024 AT 23:04

मिले जो खुशियां...तो सबमें बांट लेना,
हों गम किसी को तो उसका भी साथ देना।
यूं तो खामोशी अख्तियार नहीं किसी की,
पर हो कोई खामोश तो उसे भी आवाज़ देना।१।
राह-ए सफर में मुश्किल सभी को है मगर,
किसी की कमी से हुनर कम न आंक लेना।
यूं तो ज़माना गिरने वाले को उठाता नहीं,
पर तुम गिरने वाले को संभलने का हाथ देना।२।
और मिले जो खुशियां तुम्हें...तो सबमें बांट लेना।।
हों गम किसी को तो उसका भी साथ देना।।

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7 JAN 2024 AT 23:09

चेहरे पे मुस्कुराहट और मन में गम हजार हैं,
कहने को तो खुश हैं,पर खुद से ही बेजार हैं।
जी रहें हैं इस शर्त पर कि वक्त⏳ अभी और है,
जिसमें कुछ ख़्वाब हैं और ख्वाहिशों के संसार हैं।।

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6 DEC 2023 AT 23:40

ये दिन के उजाले क्यूं लगते अंधेरे हैं,
ये ठौर ठिकाने क्यूं लगते अब डेरे हैं,
है बहुत कुछ खुश रहने को अब मगर,
न जानें क्या मिलने का गम भी घेरे है।।

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4 NOV 2023 AT 0:31

इन जाते हुए लम्हों, संग बीते पलों को याद रखेंगे,
जो मिले हैं मुस्कुरा के हमसे उन यारों को याद रखेंगे।
यूं तो हर रोज मिलेंगे लोग बहुत मकाम-ए सफर में...,
पर उनमें कुछ चेहरे चांद सितारों को ताउम्र याद रखेंगे।

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1 NOV 2023 AT 23:38

दीदार-ए इश्क को नजरें गुस्ताखियां करती हैं,
ढीठ बहुत हैं...पर उनकी नज़रों👀से डरती हैं।
मिल जाएं उनकी नज़रों से तो कतराती हैं मगर,
उनकी नज़रों से छिपकर उन्हें नजरों में भरती हैं।।

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1 NOV 2023 AT 23:09

हां करके गुफ्तगू ख़ामोशी से उसे सोचना अच्छा लगता है,
वो शख्स अच्छा है..उससे बातें करना भी अच्छा लगता है।
हो अगर सामने तो नजरें छिपाता भी हूं, उसकी नजरों से
पर छुपके उसकी नजरों से, उसे देखना भी अच्छा लगता है।।

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