Shyam   (श्याम सिसवाई ✍️)
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तेरे ख्यालों में डूबा रहना अच्छा लगता है। ❤️
Joined 10 October 2017


तेरे ख्यालों में डूबा रहना अच्छा लगता है। ❤️
Joined 10 October 2017
18 MAR AT 11:38

प्रेम' की डोर बारीक इतनी होती है कि सामान्य आँखें इसे देख न पाएं;

परंतु मजबूत इतनी कि 'ईश्वर' को भी बांध ले।

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22 JAN AT 22:36

नियति के सारे निर्णय मैंने स्वीकार कर लिया,
बस तुम्हारा बिछड़ना मुझे कभी स्वीकार न होगा।

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14 DEC 2024 AT 11:16

कहानियां रह जाती हैं,
कुछ अनकही, कुछ अनसुनी।

कुछ कहानियां उन पात्रों के हृदय की कोठरी में बंद हो जाती हैं जो इनके हिस्सा थे,
लेकिन कहानियां मरती नहीं है, कभी भी नहीं।

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9 MAY 2024 AT 22:54

ज़मीं न मिली, सारा आसमान मिल गया।
घर न मिला, साज़-ओ-सामान मिल गया।

भटकते रहे हम किसी अपने की तलाश में,
शख़्स न मिला वो, सारा जहान मिल गया।।

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7 MAY 2024 AT 0:36

मैं फिर नहीं रुका तुम्हारे इंतज़ार में इस बार,
तुम फिर नहीं आए, इस बार मुझसे मिलने।

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26 MAR 2024 AT 19:53

शरीर पर कोई भी रंग चढ़े, उतर जाता है एक वक्त बाद।

मगर जो रंग रूह पर चढ़ जाए, वह मरने पर भी न उतरे।

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12 FEB 2024 AT 0:41

दिनभर समेटे फिरता हूं खुद को मैं दरबदर,
रात होते ही टूटकर बिखर जाता हूं बिस्तर पर।

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4 FEB 2024 AT 0:16

तन्हाई मेरा यूं हाथ न छोड़,
दुनिया की भीड़ में कहीं खो जाऊंगा।

दूर जाने के यूं मत बहाने बना,
पुरानी यादों में बहकर रो जाऊंगा।।

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9 OCT 2023 AT 0:42

कुछ पत्ते शाखों से यूं ही टूट जाते हैं।
कुछ लोग बेवजह यूं ही रूठ जाते हैं।

लोग अब ताउम्र साथ नहीं रहा करते,
कुछ छोड़ देते हैं, कुछ यूं ही छूट जाते हैं।

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1 OCT 2023 AT 21:52

पहले जैसी तुमसे, अब बात कहां होती है।
बाहों में तुम्हारे गुज़रे, वह रात कहां होती है।

मिल जाते हैं यूं कभी हम राह चलते-चलते;
दिल को सुकून दे ऐसी मुलाकात कहां होती है।

बढ़ गए हैं फासले, अब यूं दिलों के दरमियान,
इज़हार-ए-जज़्बात की हालात कहां होती है।

लाख शिकवे दफ़न हैं मेरे ज़ेहन में अब भी,
पर कभी तुम्हारे सामने सवालात कहां होती है।

बैठा हुआ हूं तन्हा इस जिंदगी की नाव में;
सैर करे तू साथ, यह दरख़्वास्त कहां होती है।

सिसवाई अब चाहता है भूलना तुमको मगर,
ख्वाबों में तुम ना आओ वह रात कहां होती है।

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