लाख समझाया उसको कि दुनिया शक करती है
मगर उसकी आदत नहीं गई मुस्कुरा कर गुजरने की-
Us raat chaand subha tak
Meri chhat par baitha
Raha
Jaane se pahle maine usse
Ek kavita sunai thi
Mujhe theek theek yaad
Nhi kaun si
Magar Us kavita me
tumhara Zikr tha-
माना झुकना मेरे फ़ितरत में शामिल था…
मगर हम क्या झुके लोग तो अपने आप को भगवान ही समझने लग गए!-
ना जाने ऐसा धोखा फिर कब होगा हमारे मिलने का मौका फिर कब होगा कभी तो सुनोगी मेरे पुकारने से पहले कुछ और ही सोचा था दिल हारने से पहले पर तुम ऐसी ही तो अच्छी हो
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कुछ और ही सोचा था दिल हारने से पहले पर तुम ऐसी ही तो अच्छी हो कुछ खुद में ही गुम रहती हो मुझसे से भी बाते कम कहती हो कुछ भूल जाने की तुम्हारी आदत, कुछ बेवक्त मुस्कुराना जैसे इबादत तुम्हारे हर झूठ में भी लगती मुझे तुम सच्ची हो कुछ और ही सोचा था दिल हारने से पहले पर तुम ऐसी ही तो अच्छी हो।
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मेरे पास था ही क्या ? एक सब्र के सिवा
वो भी लूटा बैठा हूँ... तेरे इंतजार में ..!!!-
Maine socha tha
Tum kahogi toh milenge
Na kahogi toh na milenge
Ye "dekhte hai" Kehkar
Tumne saara hisaab hi bigaad diya-
माथे पर सिन्दूर देखकर हैरान मत हो जाना गालिब
मैने लाइसेंसी रिवाल्वर भी चोरी होती हुईं देखी है।
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ये इश्क ही तो है हमारा चाय से ,
वरना खौलती हुई चीज आखिर कौन लबो से चूमता है..-