shyaddhi writes   (Shyaddhi)
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A mind with so many thoughts ✍️
Use #shyaddhi to connect with me easily ✌️
Joined 4 May 2020


A mind with so many thoughts ✍️
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18 APR 2022 AT 1:05

कुछ इस तरह सितम ढा रहा है तेरा प्रेम
कि तुझसे नही हुआ तो किसी और से भी होने नही दे रहा है।

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18 APR 2022 AT 1:00

वक्त गुजारने के लिए, तो कोई अपना दिल बहलाने के लिए, भावनाओं को आहत कर रहा ;
जिसे देखो आजकल हर कोई किसी न किसी को पाने की दौड़ में मर रहा ,
यूं पूछे तो वक्त नही किसी के पास ,
लेकिन वक्त गुजर नही रहा तो ,झूठा ही सही पर किसी के साथ के लिए किसी की भावनाओं से खेल रहा,
इंसान अपनी जरूरत और इच्छाओं के लिए ,
हर किसी के साथ टाइम पास कर रहा।

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13 APR 2022 AT 22:26

सोचा था सबको खुद से दूर कर रही हूं,
पर पता नहीं था कि खुद ही खुद से दूर हो रही हूं।

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4 APR 2022 AT 1:21

क्यू एक औरत काफ़ी नही
लिबास की तरह क्यू बदलते हो अपनी पसंद
और फिर कोई पूछे
उन्ही में से किसी एक का चरित्र
तो क्यूं उनका चरित्र बुरा बताते हो
क्या काफी नही किसी एक का प्यार और सच्चाई
जो हवस के गुलाम हो
या फिर यूं कहे तुम्हारा क़िरदार साफ नहीं
क्यूं आज भी औरत मर्द की गलतियों का हर्जाना भरती है
क्यूं औरत को इंसान भी समझा नही जाता
क्यूं तुमसे उसे इज्जत और प्यार की नज़रों से देखा नही जाता
क्यूं सिर्फ एक का प्यार काफ़ी नही
और गुनाह तुम करो फिर भी औरत को माफ़ी नहीं

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2 APR 2022 AT 21:50

क़रीब से जान रही हूं
नए संसार में खुद को ढाल रही हूं
तुम्हारे नाम से अपना जीवन जोड़ रही हूं
तुम्हारे साथ के लिए मैं ख़ुद को ही भूल रही हूं।

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2 APR 2022 AT 21:42

क्या लिखूं?
(Read the caption)

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2 APR 2022 AT 21:35

हुस्न तो लाखों दिखाएंगे
पसंद वही करना जो दिल को भाए
दिल और दिमाग़ दोनों को लड़वाए।

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27 MAR 2022 AT 22:11

प्रेम शेष नही रहा अब
क्योंकि इश्क़ की महंगाई में
प्रेम खो गया है
और प्रेम इश्क़ के नाम पर
निर्वस्त्र हो गया है।

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24 FEB 2022 AT 23:17

वक्त रहते जाहिर कर लिया करो,
वक्त निकल जाने पर किया गया इज़हार कभी मुकम्मल नही होता।

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21 FEB 2022 AT 21:06

लिखने में भी ख़ूब बिक चुकी थी और उम्मीद नहीं है कि एक दिन जब वो कहानियां पढ़ी जाती तो क्या गुनाह हो सकता।

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