वक्त गुजारने के लिए, तो कोई अपना दिल बहलाने के लिए, भावनाओं को आहत कर रहा ; जिसे देखो आजकल हर कोई किसी न किसी को पाने की दौड़ में मर रहा , यूं पूछे तो वक्त नही किसी के पास , लेकिन वक्त गुजर नही रहा तो ,झूठा ही सही पर किसी के साथ के लिए किसी की भावनाओं से खेल रहा, इंसान अपनी जरूरत और इच्छाओं के लिए , हर किसी के साथ टाइम पास कर रहा।
क्यू एक औरत काफ़ी नही लिबास की तरह क्यू बदलते हो अपनी पसंद और फिर कोई पूछे उन्ही में से किसी एक का चरित्र तो क्यूं उनका चरित्र बुरा बताते हो क्या काफी नही किसी एक का प्यार और सच्चाई जो हवस के गुलाम हो या फिर यूं कहे तुम्हारा क़िरदार साफ नहीं क्यूं आज भी औरत मर्द की गलतियों का हर्जाना भरती है क्यूं औरत को इंसान भी समझा नही जाता क्यूं तुमसे उसे इज्जत और प्यार की नज़रों से देखा नही जाता क्यूं सिर्फ एक का प्यार काफ़ी नही और गुनाह तुम करो फिर भी औरत को माफ़ी नहीं