shweta soni   (Soni)
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Joined 31 August 2020


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5 APR AT 8:18

यही विकल्प था कि
अस्तित्व में उसके विलीन हो जाता
सामने तपता सूर्य था मेरे
मैं उससे बड़ा क्या हो जाता

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29 MAR AT 20:13

बात बात पर मुझे लड़वा देती हैं खुद से
तू बातें ज़रा कम किया कर मुझसे

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29 MAR AT 19:56

बहुत देर में ये फलसफा समझ में आया है
जो लिखा है मेरी किस्मत में मैंने लिखवाया है

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29 MAR AT 19:51

चौदहवीं की रात का बहुत बोलबाला होता था
ये उन दिनों की बात है जब आसमान का रंग काला होता था
बिन तारों की शिरकत के न अंधेरा होता था न उजाला होता था
ये उन दिनों की बात है जब आसमान का रंग काला होता था

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29 MAR AT 19:22

दिन भर घूमता रहा आंखों के सामने तेरा चेहरा
मैंने बागीचे में सुबह सुबह खिलते गुलाब देखे थे

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27 MAR AT 9:49

दूजों में गुण को खोजिए
स्वयं में खोजिए दोष
यह उपाय अचूक है
यदि होना है निर्दोष

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27 MAR AT 9:27

पुष्प की नियति देखो
टूटता है
गिरता है
पड़ता है
किंतु जिस क्षण
सानिध्य पाता है
ईश्वर का
पुष्प चढ़ता है
यही नियति
मनुष्य की भी है

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25 MAR AT 18:43

अपनी अपनी सबकी रोशनी
अपने अपने सबके अंधियारे
अलग अलग संघर्ष हैं सबके
संघर्षों से घिरे हैं सारे

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15 MAR AT 11:21

एक ही मुलाकात में
गहरा असर ये हो गया
अश्क मिला इश्क से
और इश्क अमर हो गया

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15 MAR AT 10:43

गुलामी के दौर की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि संपूर्ण राष्ट्र में ' हम गुलाम हैं' इस बात को ले कर कोई भ्रांति नहीं थी!

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