Shweta Singh   (श्वेता सिंह “उमा”)
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What you seek is seeking you “Rumi”
Joined 15 September 2020


What you seek is seeking you “Rumi”
Joined 15 September 2020
11 FEB AT 14:47

आशनाई के सिलसिले हैं बहुत
फूल से पावँ ये छिले हैं बहुत
ग़ौर से मेरी आँखें मत देखो
मुंतज़िर आँखों में गिले हैं बहुत


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11 FEB AT 12:50

जान-ए-जां दिल तो नादान पहले से था
हर घड़ी तुझ पे क़ुर्बान पहले से था
राब्ता तुझसे ये तो अभी का नहीं
ऐ सनम तू मेरी जान पहले से था

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11 FEB AT 2:01

वो आदत आज तक बदली नहीं थी
ख़ता ये आपकी पहली नहीं थी
ये माना मैं बहुत अच्छी नहीं थी
बुरी भी आपके जैसी नहीं थी

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19 JUL 2022 AT 15:12

सिरहाने की ताज़ा सिलवटों से
तकिये के पास..बिल्कुल पास
जो कुछ ख़्वाब बिखरे पड़े है ना
वही कही से तू मुझे देख रहा है

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13 JUL 2022 AT 5:14

ज़हन की दीवार से कुछ शब्द खरोच लाते है
सलीक़े से उन हर्फ़ों को एक नज़्म में सजाते है
चंद आशारो की ख़ुमारी से जी नहीं भरने वाला
गुमनाम सुखनवर की पूरी गज़ल तुम्हें सुनाते है

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8 JUL 2022 AT 13:45

जो जताएगा वो निभाएगा नहीं
जो निभाएगा वो जताएगा नहीं
इंसान की आँखे पढ़ना सीखो
लब्ज राज़-ए-दिल बताएगा नहीं

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17 MAR 2022 AT 14:53

बेइंतहा ख़्वाहिशों की जुस्तजू ना रहे
ख़्वाबिदा आँखो में कोई आरज़ू ना रहे
ऐसी ज़िंदगी की भला मुझे क्या दरकार
रिश्तों के हुजूम में मयस्सर जो तू ना रहे

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8 MAR 2022 AT 15:51

आत्मसम्मान से लबरेज़ आज की नारी हो
उम्मीद-ए-ज़िंदगी से भी पक्की यारी हो
इंद्रधनुषी रंगो से मुन्नवर तेरी दुनियादारी हो
रिश्तों से झाँकती शफ़्फ़ाक वफ़ादारी हो
हर ज़ंग से जीत की पुरज़ोर तैयारी हो
शक्ति की मिट्टी से गढ़ी आज की नारी हो

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7 MAR 2022 AT 2:11

जंग किसी मसले का हल दे पायेगी क्या
शांति और अमन का कल दे पायेगी क्या
खून से सनी मिट्टी में भविष्य क्या पनपेगा
बच्चों को उम्मीद का फल दे पायेगी क्या

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16 FEB 2022 AT 3:05

दीदार की ख्वाहिश अक्सर तेज़ होती है
मुक़द्दर को जिनकी मौजूदगी मंज़ूर नहीं

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