Shweta Shukla   (Shweta (ekta))
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Writing is best way to express my Feeling , love and care
Joined 22 July 2020


Writing is best way to express my Feeling , love and care
Joined 22 July 2020
5 JAN 2022 AT 10:45

ये सर्द हवाएं इस कदर बह रही है
कतरा कतरा ओश बन मानो कह रही है
लौट आओ वापस फिर उसी महीने में
दर्द बहुत है दिसंबर के बिना जीने में
नए साल की क्यों खुशियां मना रहे हो
साल दर साल बूढ़े होते जा रहे हो।

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23 DEC 2021 AT 11:16

हर रोज मेरे चहरे पर
किसी गहने सी सज जाती हो
मेरे चाहने वालों को
तुम बहुत ही भाती हो
तुम संग हो तो
गम भी मुझसे हार जाते है
मुझ तक आने से पहले
किसी दूसरी ओर मुड़ जाते हैं
तुमसे मेरा रिश्ता
शदियों पुराना है।
मरने तक तुम्हे
मेरा साथ निभाना है।

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23 DEC 2021 AT 10:23

पुरानी यादें
एक धुंधली सी परछाई है
मानो सर्द मौसम ने
ओस की चादर फैलाई है
कुछ हल्का सा
उस पार नजर आ रहा है
मगर दिल उस और
न जाना चाह रहा है
तुम सर्द में
वो कंबल का सा एहसास हो
मेरे लिए
तुम बहुत ही खास हो
तेरे मेरे बीच
जो ये हल्की सी गर्मी है
मोहब्बत हो मेरे
तुमसे ही सांसे बनी है।

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23 DEC 2021 AT 1:34

मेरे सपनो का संसार तुम
मेरी हर हसरत का आधार तुम
तेरे मेरे दरमिया
कुछ फासलों का पल था
जो बीत गया
वो मेरा कल था
आज को अपने
धुंधलाने न दूंगी
भरोसा रखो
हमारे दर्मिया
किसी को न आने दूंगी।

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18 NOV 2021 AT 18:50

तुम्हारी गैर मौजूदगी
अब हमको भा रही है
दिन पर दिन खुद से
और मोहब्बत होती जा रही है
अश्क से भरे आंचल था
हर तरफ मलाल था
अब तुम नही तो अच्छा है
तुम्हे कौनसा हमसे प्यार था।
मरा रिश्ता ले हम
जाने कब से, चले जा रहे थे
दूर हुए तो जाना
हम खुदको ही चोट पहुंचा रहे थे।

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25 OCT 2021 AT 10:52


बेशक वो मेरी जिंदगी ना बना।
मगर मैं खुश हूं कि
वो मेरी जिंदगी का हिस्सा तो था।
रह जाती है कुछ कहानियां अधूरी
मगर इश्क से बढ़कर कोई रिश्ता ना बना

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23 OCT 2021 AT 18:15

टूटे शाक से तो
किया रोशन तेरा जहा
दर्द खुद में बसाकर
इश्क मुकमल किया
फिर मिले किसी राह पर,
पड़े बेकार से थे
खुदको फना किया,
तो मिला तुझे नया आशियां।

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13 OCT 2021 AT 16:57

दर्द बोला, समझो मेरी कहानी
घाव गहरे है, मजबूरी है सुनानी
चाकू, खंजर, तलवार की छिड़ गई अनबन
गहरे गर घाव है, तो मैं ही हूं साधन
सुन सब, तीखे शब्दो की माला
बस मौन खड़ी, मुस्कुरा रही थी।
वजह क्या है दर्द की, समझो
ये बिन बोले ही, बता रही थी।

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12 OCT 2021 AT 10:29

पिता का चेहरा
हर परिस्थिति में
धैर्य का परिचय कराता,
वही है, बस जो हर कठिनाई को
बिन डरे धैर्य से निपटाता है।

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12 OCT 2021 AT 10:24

दिखावे की दुनियां
दिखावे की देखी, दुनिया नई
हर ओर कोई, बेबसी पल रही
चाहे हर कोई, उस चांद को पाना
जिससे ये वीरान, दुनिया खिल रही।
सबके हाथों में है, दिखावे का झोल
उसमे ही एक नई, दुनिया बसा रहे है।
खेलना, खाना और खुद को, सर्वोच्च दिखाना
इसी आडंबर में, फसे जा रहे हैं।
सोशल मीडिया, के चलते दिखावे में
खाना भी आजकल लोग, ठंडा खा रहे हैं।
तस्वीरे जरूरी है, खाने से पहले
रेस्टोरेंट सिर्फ, इसी दिखावे में जा रहे हैं।

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