दिखावे की दुनियां
दिखावे की देखी, दुनिया नई
हर ओर कोई, बेबसी पल रही
चाहे हर कोई, उस चांद को पाना
जिससे ये वीरान, दुनिया खिल रही।
सबके हाथों में है, दिखावे का झोल
उसमे ही एक नई, दुनिया बसा रहे है।
खेलना, खाना और खुद को, सर्वोच्च दिखाना
इसी आडंबर में, फसे जा रहे हैं।
सोशल मीडिया, के चलते दिखावे में
खाना भी आजकल लोग, ठंडा खा रहे हैं।
तस्वीरे जरूरी है, खाने से पहले
रेस्टोरेंट सिर्फ, इसी दिखावे में जा रहे हैं।
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