नया रिश्ता बनाने में माना वक़्त सा लगता है।
पर हमारे बीच ऐसा ना था ॥
एहसासों का सराबोर होता सा चला गया।
मैं तेरी मोहब्बत क़ी आगोश में डूबती सी चली गयी ॥
तेरे छल में आँखें मींच क़र , विश्वास करती सी चली गयी।
सच मानो.......
सांसें तो तेरे नाम क़ी कब का क़र चुकी थी।
पर अफ़सोस तुझसे नहीं , ख़ुद में है ॥
क़ी शायद , जिसे सब कुछ मान चुकी थी वो पल भर का साथी होगा और उसको अधिकार जीवन भर का दे चुकी थी मैं।
गलती तेरी नहीं , मेरी थी , क़ी दूर क़ी चकाचौंध भरी रोशनी , जो हर पल अपने मतलब क़े लिये छल रही थी मुझक़ो मैं समझ नहीं पायीं ॥
पर सच य़े सांसें और इनमें मैंने तुझक़ो ही भरा था बस तुझे ही. .. .
माना रिश्ता बनाने में वक़्त सा लग ही जाता है 💔
छल वाला रिश्ता , जो तूने शुरुआती से अंतिम तक रखा...
जो तूने शुरुआती से अंतिम तक रखा...
-