कितना कुछ छूट गया...
याद है मुझे वो फ़रवरी का महीना ???
जब मेरे और तेरे दरमियां प्यार हमारा परवान चढ़ रहा था।
पर ख़ुद क़े सस्ते स्वार्थ क़े लिये तुमने , मुझे और मेरे एहसासों क़ो तोल दिया 💔
एक वो दिन जब हम मिले थे ,
एक वो दिन जब हम आख़री बार मिले थे।
जब पहली बार गले लगाया , लगा ईश्वर ने सब कुछ दे दिया और जब आख़री बार गले लगाया तभी , लगा नहीं था , आख़री बार गले लगाया , तुझको ॥
पर महसूस उसी दिन हो गया था क़ी अब तू मेरा नहीं 💔-
❤ ❤ ❤ #इन्सानियत #मदद #धर्म और #राष्ट्रीयहित से बढ़कर कुछ नही हम भी नही... read more
बीन मांगे मिल जाए त्याग और समपर्ण वाली मोहब्बत तो उसका कोई मोल नहीं. .. .. .. .. .. .. ..
जब आपकी ज़िंदगी किसी क़ी जिंदगी का त्याग बनती , तब प्यार क़ी परीक्षा में वो तपती है और जब त्याग , तप का रूप लेती तो उस मोहब्बत से बढ़कर शायद ही कोई चीज आपके जिंदगी में बेस क़ीमती होनी चाहियॆ ।
मैं तो तेरे लिये ऐसी ही मूरत बनना चाहती थी पर तूने अपने स्वार्थ क़े लिये हर पल छला है मुझे ॥
हर पल ,हर लम्हा अपने स्वार्थ क़े लिए ठगा है मुझे... 💔-
ऐसा लगता है जैसे य़े कल क़ी ही बात थी।
हर लम्हों क़ो जिया य़े तो बस लम्हों में खोयी एक रात थी॥हाँ माना नहीं होता आसां हर लम्हें क़ो जीना ,
ना होता आसां , किसी क़े साथ जिया वो हर दुःख सुख का लम्हा।
ना होता आसां , उन लम्हों में बस तुमको ही चाहना ॥
हाँ होती हर एक क़े जीवन में परिभाषाएं अलग , इस मोहब्बत क़ी।
जैसे हमारी है, है य़े 9 साल का सफ़र ॥
था कहां इतना आसां , पर बनाया इसे आसां तेरे प्यार और साथ ने।
बस बनी रहें य़े हमारी मोहब्बत 🤍
#Ruhlove-
नया रिश्ता बनाने में माना वक़्त सा लगता है।
पर हमारे बीच ऐसा ना था ॥
एहसासों का सराबोर होता सा चला गया।
मैं तेरी मोहब्बत क़ी आगोश में डूबती सी चली गयी ॥
तेरे छल में आँखें मींच क़र , विश्वास करती सी चली गयी।
सच मानो.......
सांसें तो तेरे नाम क़ी कब का क़र चुकी थी।
पर अफ़सोस तुझसे नहीं , ख़ुद में है ॥
क़ी शायद , जिसे सब कुछ मान चुकी थी वो पल भर का साथी होगा और उसको अधिकार जीवन भर का दे चुकी थी मैं।
गलती तेरी नहीं , मेरी थी , क़ी दूर क़ी चकाचौंध भरी रोशनी , जो हर पल अपने मतलब क़े लिये छल रही थी मुझक़ो मैं समझ नहीं पायीं ॥
पर सच य़े सांसें और इनमें मैंने तुझक़ो ही भरा था बस तुझे ही. .. .
माना रिश्ता बनाने में वक़्त सा लग ही जाता है 💔
छल वाला रिश्ता , जो तूने शुरुआती से अंतिम तक रखा...
जो तूने शुरुआती से अंतिम तक रखा...-
तन्हाई का राग य़े कहता है...
य़े कैसी दुनियां है मेरे रब्बा ???
अब तों ना प्यार क़ी क़दर ना एहसासों क़ी।
यहाँ खुलकर ना तकलीफ बता सकते ना बयां क़र सकते , ना समझने वाला कोई , ना समझाने वाला कोई , ना सर पर हाथ रखकर बोलने वाला कोई , क़ी मैं हूँ साथ तेरे।
तू बता तों सही...
बस एक घुटन भरी ज़िंदगी क़ी भीड़ में जी रहें सभी ,
पता नहीं इस भीड़ में हर कोई क्या ढूंढता है ???
जब सांचा प्यार ही ना हो तों हर तरफ़ दिखावा क्यू करता है ???
हर तरफ़ दिखावा क्यू करता है ?-
वो दिल जिसे दिलवालों क़ी दुनियां ही समझ सकती।
य़े समझ सकती क़ी...,
कुछ राहों क़ी मंजिल नहीं होती पर मोहब्बत बेशुमार होती हैं 💔-
जहाँ हम नादान से थे,उस रिश्ते में ,
जहाँ बचपन में छल कपट नहीं , बस प्यार करना था ।
वो भी सिर्फ़ निश्छल वाला ॥
वो दौर बचपन क़ा ही ठीक था ,
क्यूंकि जवानी में बस जवान हुए हैं ,
जज्बातों क़ा गला तों शर्म ने ही घोट लिया हैं ,
इस मुखौटे वाली जिंदगी ने 💔💔💔-
जहाँ जज्बातों क़ो कैदियों क़ी तरह ,
रखने क़ी हुकुम सा सुना सा जाता हैं ।-
जिसमें,चुनना चाहती हूँ ख़ुद क़े पसंद क़े जूगूनूओ क़ो ।
जो बस मेरे हो ,दुनियां क़ी भीड़ में गुम सा जाने वाला नहीं॥🙁-