जब मिले थे हम,,पहली बार तुम करीब आये थे।
तुम्हें मैं अच्छी लगने लगी और मैं भी तुम्हें पसंद करने लगी।
तुम्हें मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता था और मुझसे मिलने के बाद अक्सर तुम लेट सोया करते थे।
हर बात पर तुम मेरे लिए परवाह दिखाते थे।
मेरे रूठने पर झट से मना लेते थे।
तो क्यूँ आज इस रिश्ते में पहले-सी बात नहीं?
क्यूँ हमारे वो पहले जैसे हालात नहीं और क्यूँ आज मेरे हाथों में तेरे हाथ नहीं?
पता नहीं क्यूँ तुम अचानक इतना बदल गये!!
ऐसा नहीं कि मैंने तुम्हें समझाने की कोशिश नहीं की पर तुमने ही कभी रिश्ता बचाने की कोशिश नहीं की।
मैं जानती हूँ कि मुझे कोई समझ नहीं पाया कभी।
टूटा था पहले भी ये दिल, एक बार बार फिर से टूट जायेगा।
पर इस बार खुद से मैं एक वादा करती हूँ,,दूसरों से कम और खुद से प्यार ज्यादा करूँगी।
अब किसी को इतना पास नहीं लाऊँगी मैं,,किसी को इतना खास नहीं बनाऊँगी मैं।
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