श्रम की बात बस श्रमिक ही जाने,
धूप में जाकर बाते करे,
श्रम से है जिनका हर पल ,
श्रमिक से ही है देश की नींव।
श्रमिक की पहचान है कठिन श्रम,
श्रम से ही है जिनका आज और कल।
श्रम से ही जीवन चलता है ये निरन्तर,
श्रम ही है बढ़ता आज और कल।
श्रमिक दिवस...💐-
राम भक्त हारी ,बजरंग रूप ये धारी,
रूद्र रूप है ये, विशाल रूप धारी।।
महावीर है ये ,सिंदूरी केसरी रूप धारी,
विशाल रूप है ये,शक्ति रूप धारी।।
श्रीराम के प्यारे अद्भुत रूप धारी,
पवन से तेज ऐसे वायु रूप धारी।।
दुःख हरण ये सुख दायक रूप धारी,
संकट मोचन है , ये संकट हारी ।।
माता सीता के सुत , अद्भुत न्यारे,
प्रिय है आप को सिंदूर प्यारे।।
सोने की लंका जलाने वाले,
लक्ष्मन जी के लिए संजीवन बूटी लाने वाले।।
माता सीता की खोज करने वाले,
सीना चीर कर अपनी भक्ति दिखाने वाले।।
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अयोध्या में आ गए हैं श्री राम हमारे,
मर्यादा की मूरत श्री राम हमारे।
सूर्य तिलक होगा आज इनका,
मोहन छवि है बड़ी न्यारी इनकी।
आनंदित है आज जग सारा,
धर्म का डंका बजे विश्व में हमारा।
जन्मोत्सव की लख बधाई प्रभु आप को,
साँवली सुरतिया भाये सब को।।-
औरत
एक रात ऊपर वाला ,जब खुद से रूठा होगा ,
टूटा और ख़ामोश ,उलझनों से घिरा बैठा होगा,
लाख हिम्मत जुटाए ,
सोंचा,
बनऊँगा वो मूरत जो सब का होगा।
बस उसके मन पर ,
पड़ा भावनाओं का पहरा होगा।
तब शायद उसने , एक औरत को बनाया होगा।।
थमा दी होगी आंखों में, ममता की मूरत को,
हाथों में लगा दी होगी तब ,उसके भावनाओं की मेंहंदी को।
प्रेम का टीका लगाया होगा,
फूल सी सूरत में पत्थर को सजाया होगा,
चांद से चुरा कर दी होगी खूबसूरती,
सूरज सा उलझनों में उसे जलाया होगा,
अपनी कला पर वो भी तब इतराया होगा,
आखिर कैसे उसने औरत को बनाया होगा ?
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सोचती हूँ भोलेनाथ, आप पर मैं क्या बोल सकती हूँ ?
साथ रहना इतनी मैं आस रखती हूँ !
शीश जटा में गंगा है, मस्तक पे चंदा है,
गंगा धर आप को ही मैं विषधारी कहती हूँ ।
भस्म है रमाए अंग नाग लिपटाए संग,
रुद्राक्षधारी आप को ही मैं नागेश्वर कहती हूँ।
नंदी की सवारी और कंठ विषधारी आप,
रहते शमशान में आप को ही मैं बाघेश्वर कहती हूँ।
देवों के देव तुम्हें तीनों लोक मानते,
सबके मन में वास करते हो,
आप को ही मैं त्रिनेत्रधारी कहती हूँ।
माँ शक्ति के प्राण हो, सब के सुखकर्ता हो ,
विश्व में बस मैं आप पे वारी , बस ये कहती हूँ ।
🙏महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं🙏-
हर एक शब्द से अंजान होता ,
मां तेरा ध्यान ना होता !
ना किसी का आदर ना ही सम्मान होता ,
गर मां तेरा ध्यान ना होता !
धर्म-अधर्म घमंड-पाखंड का ही शान होता,
मां तेरा ध्यान ना होता !
ना सुर संगीत ना शिक्षा का ज्ञान होता ,
मां तेरा ध्यान ना होता !
मां सरस्वती-
पृथ्वी में आकर कष्ट तो भगवान को भी मिले,
फिर हम तो बस इंशान है।
चौदह वर्षों से लेकर पांच सौ वर्षों का सफर,
टेंट से लेकर अब आ गए आप महल में अटल होकर।
फटे कपड़े तो हम ना पहन पाते,
और आप को नए कपड़े पहना ना पाए बिना कोर्ट के आदेश से।
प्रभु की मर्जी से एक पत्ता नहीँ हिलता है,
कैसी है ये वनवास की लीला जो सतयुग से लेकर कलयुग तक है ।
स्वर्णिम युग यह २२ जनवरी को आया ,
उस सन्यासी मोदी जी की माया।
दशरथ लाल आप को प्रणाम 🙏 है हमारा,
कष्ट से दूर करने वाले कष्ट में हमने ही आप को डाला।
वनवास आप का पूर्ण हुआ है,
अयोध्या मे भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है।
फिर से आ गए राम राज्य के दिन,
दूर हुए विश्व वेदना के दिन ।
फिर से जान गये हम शबरी के इतिहास,
कोई ना करे हमारे भारत देश का उपहास।
भगवान राम के बारे में क्या बताऊँ,
इतनी मेरी अवकात नहीं।
लेने होंगे अनेक जन्म,
इस जन्म में वो बात नहीं।
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गणेश उत्सव मनाएँगे हम,
बप्पा का आशीर्वाद पायेंगे हम।
बैंड बाजा से हो रहा स्वागत ,
बप्पा करते है हम सब की आगत।
सुलझाते है सब परेशानी ,
इनके नाम से ही होती है हर काम पूरी।
पार्वती माता के पुत्र हैं
पिता तो इनके शिव है।
जब काम शुरू करना होता है,
ये भक्त बप्पा की पूजा करता है।
बप्पा सबकी रक्षा करें,
हर समस्या का समाधान करें।
बप्पा से है रिश्ता ऐसा ,
ना कोई है इनके जैसा।
सिद्धिदाता है ये,
प्रथम पूजनीय है ये।
जो बप्पा की पूजा करता है ,
उसका सब कार्य सफल हो जाता है।-
हमारी मातृभाषा ज़िंदगी जीना सिखाती है
यही संपर्क साधन है ,यही विश्वास लाती है
अलग पहचान भारत की इसी हिंदी से है जग में
सुनो हिंदी हमे सबसे अलग इंसाँ बनाती है
बदलती बोलियाँ हैं कोस पर, बदले कहीं पानी
मगर ये बीज समता का हर इक कोने लगाती है
कहीं रसधार छंदों की, कहीं श्रृंगार गीतों से
कहीं पर ओज स्वर में वीर गाथा दिल चुराती है
किसी की लेखनी अच्छी, कहीं पर बोल अच्छे हैं
अर इस में ख़ासियत ये भी कि सबको ये नचाती है
मगर ये बात है अब शर्म की सबके लिए सुनलो
नई पीढ़ी को पूरी सौ तलक गिनती न आती है
ये माना है कि अंग्रेज़ी का पूरे विश्व में डंका
मगर आंगल भी हिंदी शब्द को दिल से लगाती है
विवेकानंद जी पहली दफ़ा जब बोले हिंदी में
तो सबने ये कहा हिंदी से दुनिया गूंज जाती है
हमें है गर्व हम हिंदी हैं, भारत के निवासी हैं
ये है संस्कृत की बेटी और हम को ये ही भाती है
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तुम्हारा करीब होना
तुम्हारा चेहरा देख,
मेरी सुबह का होना,
तुम्हारे धड़कते दिल में,
मेरी मौजूदगी का,
अहसास दिलाता है,
तुम्हारा करीब होना,
मुझे सुकून देता है।
तुम्हारे नयनों में मेरी छवि,
मेरा दर्पण बन जाती है।
तुम्हारा अचानक, बेवजह,
अपनी बाहों में भरना,
मुझपर तुम्हारा हक़ जताता है,
तुम्हारा यूं करीब आना,
मेरी सांसों की गति को बढ़ाता है।
मुझे उदास देख, तुम्हारा परेशां होना,
मुझमें हिम्मत लाता है, मेरा हौसला बढ़ाता है।
तुम्हारा साथ, मेरे हाथों में हाथ तुम्हरा,
कठिन से कठिन सफर को, मज़ेदार बनाता है।
तुम्हारा करीब होना,
प्मुझे सार्थक बनाता है।
तुम्हारा सोने से पहले बात करना,
मेरी दिन भर की थकान मिटाता है।
तुम्हारा होना ही मुझे मेरे होने का सबूत दे जाता है।
सुनो , इसकदर तुम्हारा करीब होना,
मुझे जिन्दा रहने में मददगार हो जाता है-