सुनो !बस जब भी कहूं तो तुम मुड़ के देख भर लेना।गर इतनी गुंजाइश भी बची रह गई तो..बहुत कुछ बचा रह जायेगा।बहुत कुछ...आराध्या -
सुनो !बस जब भी कहूं तो तुम मुड़ के देख भर लेना।गर इतनी गुंजाइश भी बची रह गई तो..बहुत कुछ बचा रह जायेगा।बहुत कुछ...आराध्या
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तुम _______तुम..🌸लिखकर फिर कुछ लिखा नही जाता इस तुम में मेरा सब कुछ जो पूरा हो जाता है।आराध्या -
तुम _______तुम..🌸लिखकर फिर कुछ लिखा नही जाता इस तुम में मेरा सब कुछ जो पूरा हो जाता है।आराध्या
गुमनाम से दिन_______________________नियति के शिकार होते है ये गुमनाम से साधारण दिखने वाले दिन।इनकी नियति होती है, आना और चुप-चाप बीत जाना।आराध्या -
गुमनाम से दिन_______________________नियति के शिकार होते है ये गुमनाम से साधारण दिखने वाले दिन।इनकी नियति होती है, आना और चुप-चाप बीत जाना।आराध्या
कविता कुछ नहीं होती बस कुछ सूखे आंसू, कुछ लफ्ज़ों के लिबास मेंकाग़ज़ पर बिखरे होते है।"आराध्या" -
कविता कुछ नहीं होती बस कुछ सूखे आंसू, कुछ लफ्ज़ों के लिबास मेंकाग़ज़ पर बिखरे होते है।"आराध्या"
अच्छा सुनो!तुमको लिखना है,तुमकोपर लिख नही पाती!!!!!ओह!कहीं तुम ईश्वर तो नही हो !?"आराध्या" -
अच्छा सुनो!तुमको लिखना है,तुमकोपर लिख नही पाती!!!!!ओह!कहीं तुम ईश्वर तो नही हो !?"आराध्या"
एक उम्र कुछ साल ,कुछ महीने कुछ घड़ियां।और एक प्रतीक्षा .......तुम प्रतीक्षा हो....आराध्या -
एक उम्र कुछ साल ,कुछ महीने कुछ घड़ियां।और एक प्रतीक्षा .......तुम प्रतीक्षा हो....आराध्या
अजीब सी कशमकश मे रही ज़िंदगी।जिसको पाना ही नहीं था ,जिसको पाया ही नही।उसको खोने का ग़म ज्यादा रहा! या ना पाने का मलाल ज्यादा रहा !?आराध्या -
अजीब सी कशमकश मे रही ज़िंदगी।जिसको पाना ही नहीं था ,जिसको पाया ही नही।उसको खोने का ग़म ज्यादा रहा! या ना पाने का मलाल ज्यादा रहा !?आराध्या
प्रेम अल्पायु होता है!प्रेम दो लोगों में होता ही नही, वो हर एक के भीतर जीता है अपना जीवन।इसलिए शायद हाथ की रेखाओं में समा जाता है।आराध्या -
प्रेम अल्पायु होता है!प्रेम दो लोगों में होता ही नही, वो हर एक के भीतर जीता है अपना जीवन।इसलिए शायद हाथ की रेखाओं में समा जाता है।आराध्या
अंतिम इच्छा _____________________ तुम.... हां तुम थे मेरी अंतिम इच्छा। तुम जो मेरे कुछ नही थे।आराध्या -
अंतिम इच्छा _____________________ तुम.... हां तुम थे मेरी अंतिम इच्छा। तुम जो मेरे कुछ नही थे।आराध्या
मैं चाहती थी हमारीचिठ्ठियों का एक पता हो।हमारे आंगन की धूप एक हो।हमारे घर की एक छत हो जहां ...ऐसा होता तो ...ऐसा होता तो कैसा होता !?आराध्या -
मैं चाहती थी हमारीचिठ्ठियों का एक पता हो।हमारे आंगन की धूप एक हो।हमारे घर की एक छत हो जहां ...ऐसा होता तो ...ऐसा होता तो कैसा होता !?आराध्या