कितना दूर जाना होता है
किसी से दूर जाने के लिए।
कितने बरस कितने मौसम
कितने मील तय करने पड़ते है
किसी से दूर जाने के लिए।
इस गोल घूमती दुनिया में
फिर वही मिल जाते है।
इस दुनिया से दूसरी दुनिया
का कोई रास्ता होगा ज़रूर होगा
जो ले जाता होगा एक दूसरे से दूर ..
आराध्या-
मौन लिखना है,
कोशिश करती हूँ मौन को
उकेर दूँ पन्नों पर और भर दूँ रंगों से।
मौन भी धीरे-धीरे शुष्क होता जाता है
जमता जाता है जैसे पहाड़ सर्दियों में.
आराध्या-
"Every year, I receive a 365-page diary. I write one word on each page, but only if it's positive; otherwise, I leave it blank.
Aradhaya-
"Life is a never-ending journey. Don't carry extra luggage. My soul wanders through the deepest oceans and the vastness of the sky.
आराध्या-
चाँद कुछ कहे न कहे
खामोशी से अपनी
मोहब्बत बिखेर देता है।
सुना है उसको चाँदनी
कहते है लोग..
आराध्या-
बेवकूफियों की शुक्रगुज़ार हूं,
ता-उम्र साथ निभाया।
बेहद लाज़िमी थी ज़िंदगी को
ज़िंदगी में बचाए रखने के लिए।
आराध्या
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और फिर एक दिन हम चुप हो जाते है।
चुप की खामोशी को ओढ़ कर सो जाते।
आराध्या-
बस एक बार ही सही पर,
ऐसा कोई जादू हो जाए
जहां हाथ रख दूं
बस वो मेरा हो जाए
आराध्या-
कितना शोक मनाएंगे
कब तक शोक मनाएंगे
भूलने की आदत है हमको
और फिर से भूल जाएंगे हम।
यही चलन है इस दुनिया का
कहते है लोग कई,
और यही कह-कह कर
फिर भूल जाएंगे हम।
बस इसी भूलने की आदत
दे देती है इतिहास को इजाज़त
जाओ एक बार और दोहराओ
खुद को एक बार।
आराध्या-
एक यक़ीन दिलाती हूं आजकल
खुदको कि मैं भूल चुकीं हो उसको।
हर रोज़ याद से ताक़ीद करती हूं
खुद को वो अब याद नहीं मुझको।
आराध्या
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