SHVETA PANDEY   (S pndit)
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Joined 21 April 2020


Joined 21 April 2020
17 SEP 2022 AT 22:57


था खुद के पास वो बैग जिन्हे हम ख्वाहिशे कहते है
जो गुम हो गया इन दल दल भरी राहों में
फिर इखट्ठा करना है
फिर इन्हें सब लेके चलना हैं
जो तोड़ दिए उन ख्वाहिशे को
हमे फिर उन्हें जोड़ के चलना हैं
हां वक्त लगेगा
पर वो सुबह आएगी
जिन्हे मैं धीरे धीरे ही सही पर पूरा ज़रूर करूंगी।।

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17 SEP 2022 AT 22:46


आपका हाथ मेरे हाथ में ना होता
तो इस दुनियां से लड़ने का हौसला मेरे पास ना होता
।। पापा।।

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8 SEP 2022 AT 14:10

जरा सोचो, जिस पेड़ के नीचे आप खुद को महफूज समझ रहे हो अगर वही आप पे गिर पड़े तो,,,,,,,,,

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19 DEC 2021 AT 10:42


सब ने कोशिश कर रखी है
कहीं भटकते हुए तो कहीं संभल संभल के
पहुंचना है सबको
कहीं धीरे-धीरे तो कहीं दौड़ दौड़ के।

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16 DEC 2021 AT 18:16

आरज़ू-कुछ नहीं
तलब-सब भूलने की
सुकून- उन्हें सब भूल के भी पहचानने की।
महादेव,,,

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16 DEC 2021 AT 17:55

हा मैं हसना चाहूं
फिर से गुनगुनाना चाहूं
उन अपनों की गलियों में रहना चाहूं
जहां सब अपने हो कोई धोखा ना हो
हां मैं महसूस करना चाहूं
वह पल जो सुकून के होते हैं
वह हंसी जो सच की होती है
हां मैं देखना चाहूं

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16 DEC 2021 AT 13:52

तमन्नाओं से बधे डोर में
ये कैसा जंजाल बुन गया
झूठी हसी रखते मन भर गया
दिल आहत होता है इस बात पे
तू सच ना पकड़ सका
क्या कहूं क्या सुनाया जाय
ए मेरे रब अब तू ही बता।।

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16 DEC 2021 AT 13:43

दोस्त तेरे होने से ज़िन्दगी सच्ची सी है
तेरे होने पे जीवन बंदगी सी है
तू दे रहा है साथ तो उम्र भर देना
यू अकेले इस मजधार में छोड़ न देना

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15 DEC 2021 AT 10:25


मुश्किलें टल जाती है
आसमां रौशन लगता है
अपनों की हसी से गुजते घर
मानो मन्दिर लगता है,,।

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13 DEC 2021 AT 14:24

ज़िन्दगी जब सजा बन गई
दिल को और रुलाने लगी
दिल तो रोया बहुत था मगर
धड़कन को भी ये आजमाने लगी
दिल तो हमेशा से रोता रहा
आज उसके धड़कन भी शामिल हुई
कितना सहे दिल धड़कन बेचारा
कितना रोके आसुओं की ये धारा,,,,,,,,,,,,,,,,,

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