Olympic में अगर दिल का खेल भी होता
तो स्वर्ण पदक सब बेवफा ले जाते-
Meditation is the solution of everything.
बे बाग लाके सोने फुलां वाला विच सोना यार बैठांवां गे
फिर कर कर मोहब्बतां यार नाल ओनू अपने गल नल लांवागे
दिल कदमां च रख बैठा पलक उत्ते फिर दर सज्जना दे जावांगे
जे रुस जाए सोना सज्जन साडा ते नच नच के यार मनांवांगे
जे आख दित्ता तेनू प्यार कीता फिर यारियां तोड़ निभावांगे
बना के सारद ओनू दुनियां अपनी सरी दुनियां पुल जावांगे
इको दर ते जीना ते इको ते मरना असां दर दर की जा के की करना
वे सारद चल्ला दर यार दा मल्लया हुन दर दर न मुड के जांवांगे-
रोज़ बहला कर मन अपना
हर रोज़ तोड़ देते हो
ये दिल है मेरा खिलोना नहीं
जो खेलकर छोड़ देते हो
,
,
हम तो तेरे दीदार की खातिर
दर दर रुलते रहते हैं
तुम इतनी आसानी से सारद
कैसे मुंह मोड़ लेते हो-
तुझको पूजूं तुझको अर्चूं
तेरे दर का दरबारी हो जाऊं
तू बन जा देव मेरे मन मंदिर का
मैं तेरा पुजारी हो जाऊं-
न व्रत नेम रोज़े न कोई कम दूजे न ही करम कमाना पड़ता है
बस यार के कदमों में रखकर सर फ़िर यार मनाना पड़ता है
सब झूठ मुल्ला पंडित काजी किताब हिजाब ते हिसाब सारे
इक इश्क़ ही यार नू करे राजी यहां इश्क़ कमाना पड़ता है
मुल्ला क्यों फेरे तस्बी पंडित क्यों हजारों पाठ करे
ऐ महंगा सौदा यारी का यहां सब ही गवांना पड़ता है
ये आग का दरिया इश्क़ तेरा यहां रोज़ जलाना पड़ता है
पहले ख़ुद ही चलना अंगारों पर फिर खुद को रूलाना पड़ता है-
महबूब का हो जाना ही यहां इबादत है सारद
आशिकों की दुनियां में और कोई शरीयत नहीं चलती-
पहले महबूब के कदमों में रखकर दिल फिर अस्मत को ख़ाक में मिलाना पड़ता है
खुझ की बुलाकर गुरूर फिर सारद महबूब के दर जाना पड़ता है-
इक प्यार कीता दूजा दिल दिता हुन जान वी लेन नू कैंना ऐं
जा वे इश्क़ निकम्मया चल जा क्यों रोज़ रूलांदा रैना ऐं
तेरे नाल कर कर समझोते मेरी जान वी मुकदी जौंदी ऐ
क्यों रोलदा वे दर दर ते मेनू क्यों दर दर ठोकर खवांदा ऐं
इक यार नी मनदा गल मेरी इक दुनियां ताने मारदी वे
मेनू करके कठपुतली अपनी क्यों रोज़ मखोल करांदा ऐं
जा वै सारद जा चुल्ले पे जा तू पत्थर दिल किसे पासे दा
तू बेहया तू बेकद्रा वे सारद क्यों रोज़ रुलांदा रैंदा ऐं-
चलो छोड़ो इस दुनियां को आओ थोड़ा जी लेते हैं
सब काम छोड़कर पहले हम चाय पी लेते हैं-