"अभी बाकी है"
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ग़र उड़ने का हुनर हो।
इन स्वघोषित ज्ञानियों से भरे संसार में
अज्ञान की अनुभूति एक परम सौभाग्य है।-
जन्मदिवस की शुभकामनाएं सुचि आपको 🙏🙏🎉🎉 प्रगति पथ पर अनवरत आगे बढ़ती रहें आप।
🎉 हमेशा आपके चेहरे पर मुस्कान खिलती रहे।
🎉 इश्वरापको और आपके चाहने वालों को हमेशा खुश रखे।
बड़ा वाला happy birthday 🎉🥳🥳-
ई बिटिया या है बहुत सयानी
बनती है यह सब की नानी
लंबी लंबी करें शैतानी
प्यारी गुड़िया सब की रानी।
अहं ज़रा भी नही है इसमे
पंक रहे ये नलिनी दल सी।
खुश हो तो मोती बिखरे हैं
रूठे तो श्याम वारिधर सी।
चुन चुन कर शब्दों के मोती
पद्य गद्य का हार बनाए।
मन की निर्मल स्याही से फिर
हृदय पत्र पर लिखती जाए।
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कभी ज़रा ठहरी सी कभी फिर तूफ़ान है।
करेले सी कड़वी कभी,कभी बनारसी पान है।
बोलती है तो बातों का बवंडर लेके चलती है।
खामोश हो तो जैसे दिया बिन तेल के वो जलती है।
फितरत की मासूम वो मन कर्म की वो सच्ची है
मुस्कान उसकी इंद्रधनुष हँसी एक प्यारी बच्ची है।
सवालों में कभी उलझी सी फिर प्रेम से सुलझाती वो।
ज़ख़्म गहरा कितना भी है मुस्कान का मलहम लगती वो।
अपने मन की जवां रश्मि वो मोहब्बत के जुगनू ले चलती है।
संतप्त हृदय हो और अश्रु नयन फिर भी आनंद बन बिखरती है।
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"एकात्म"
संवेदना जब तुम्हारे हृदय पर
स्वतंत्र चलेंगी बिना बाधा के।
जब तुम निर्भय बहने दोगे
उन्मुक्त भावों को और
झुंझलाहट छोड़ बहाव में
डूबने को मचल उठोगे।
........... कृपया अनुशीर्षक में पढ़िए।-
🙏जय श्री कृष्ण🙏
कभी यशोदा के
लाल से मासूम
कभी विजातीय
शक्तियों के संहारकर्ता,
कंस-क्रूर हंता।
मैं किंकर्तव्यविमूढ़
तो वो सारथी मेरे।
तो कभी मुझ अकिंचन
सुदामा के द्वारकाधीश।
अकेला कहाँ हूँ मैं
पग पग साथ हैं,
मेरे सखा, मेरे उपदेशक,
मेरे गुरु, मेरे प्रभु
श्री कृष्ण, मेरे साथ हैं।
🙏जय श्री कृष्ण🙏-
"उपसंहार"
और फिर एक दिन बदल जाता है सबकुछ,
कहानी किरदारों से ऊब कर मौन हो जाती है , या कहें
किरदारों के मौन संबंध कहानी को अलविदा कह देते हैं।
और चलते चलते वो एक आखिरी पंक्ति जोड़ देते हैं कि
"कुछ भी आसान नहीं था, या आसान ही था क्योंकि कुछ भी नहीं था।"-
नयनन सूरज जेठ भये अब
सावन बदरा बरसत नाही।
बिन पायल मैं खड़ी दुआरे
पिया तो फिर भी तरसत नाही।
भोर भई जो रास्ता लख लख
बैठ बिरहवा गाऊं सखी रे।
साजन मन न भाऊं सखी रे।
साजन मन न भाऊं सखी रे।।-