Bechain sa hai man Ye kai sawal liye,
Kya kyun kaisa or kiske liye,
Pal kat to gya ye jo abhi chal raha hai,
Agla pal hai bhi ya nahi sawal sab ke liye,
Gidh baithe hai nazar daal ghar ho ya bahar,
Ki mil jae aaj koi naya shikar man ki bhukh ke liye,
Fir chahe kitni hi kyun na ho cheekh pukar,
Matam chhahe har gali har dwar,
Kon bhala kiske liye ladega,
Sab koi yahan apna pet bharega,
Sikegi roti har ghar me khoon ki,
Magar roti ka rang laal na dikhega,
Thali hogi sune ki jisme iman kai baar marega,
Reh jaege kai sawal koi jawab na milega,
Ek thaal roti kal fir sajega,
Kimat hogi jiski kai jaan,
Magar pet fir bhi khane vale ka nahi bharega,
Pal kat to gya ye jo abhi chal raha hai,
Agla pal "Bharat" me kaise katega....-
भारत के शीष पर,
सोए आज कई लाल,
नववधू वो बिलख रही,
संग पड़ी पिया की लाश,
हिंदू धर्म में जन्म ले,
कीमत चुकाई उसने आज,
क्यों धरा पर सब मौन देख रहे,
वसुंधरा पर पलता विषैला नाग,
आज डसा धरती के स्वर्ग को,
कल डसेगा वो पाताल।-
हे राधे थोड़ी शक्ति देना,
श्याम कृपा बस इतनी कर देना,
जिसने छुआ शीष भारत का,
उसका शीष भारतीय सेना को देना,
भले ही पा ले चैन की नींद कुछ रात,
किंतु एक हफ्ता से ज्यादा मत कटने देना,
बस श्याम कृपा इतनी कर देना।-
Main uski tasveer nihaar,
Uske kajal se sawal karta hun,
Konse yatn kiye tune,
Jo uski ankhon me samaya hai...-
ख्वाहिश यही कि देखता ही रहूं उन्हें,
वो गुलाबी सूट मैं खिला गुलाब लगती हैं,
चुराया है सरसों के फूलों ने रंग उनके लिबाज से,
पीले सूट में वो खूबसूरत बहार लगतीं हैं,
इतराता है उनका आईना,
जिसे देख वो श्रृंगार करती है,
खो सी जातीं हैं वो प्रकृति में,
वो प्रकृति से इतना प्रेम भाव रखती हैं,
इंतजार रहता है उनका कुंग की कलियों को,
उन्हें देख कलियां खुद का श्रृंगार करती हैं,
सुशोभित हो जाती है घड़ी उनकी कलाई पा कर,
रात भी उनकी आंखों में समा दिन में आराम करती है।-
एक तरफ है तस्वीर उसकी,
एक तरफ शीशे में शराब सजी है,
एक उठाऊं तो गम पल में मिट जाए,
दूसरी तरफ गम जिंदगी भर को मिल जाए।-
सजल नयन व्याकुल है मन,
जाने कौन जतन कर रोक श्याम को लूं,
सोच रही सखि खड़ी, क्या कर जतन,
स्वयं को जोड़ श्याम संग लूं,
प्रीत श्याम की में हुई बेसुध सी,
भरी दही की मटुकिया, नीर भराए चली,
कांटे लगे पग में,
वो उलझाए चीर फटाए चली,
इत बने श्याम निर्मोही,
आज जाए परसो आवन की कहते हैं,
व्याकुल हैं पशु पक्षी सभी,
चितचोर आज चित्त चुराते हैं
कौन समझाए मात यशोदा को,
बची स्वांस किंतु प्राण हरते हैं।-
होती है दिल पर दस्तक,
हम अब खामोश रहते है,
जो बढ़ना चाहे कदम,
हम उन्हें थाम लेते है,
बड़ी कठिन है यह,
प्रेम रीत निभानी,
हम ये दिलासा,
दिल को देते है,
टिकती है निगाहें,
जब किसी चेहरे पर,
हम हाल इश्क का,
जानकर नज़र मोड़ लेते है,
भरी महफिल में,
जाने से कतराते है,
खुद संग जिंदगी के,
हर पल जी लेते है,
बढ़ी दिल की धड़कन को,
हम थाम लेते है।-
शीतल छवि, मन निर्मल जैसे नीर गंगा,
सुंदर नयन, मुख ज्यों पूनम का चंदा,
मधुर वचन, मधुर ही स्वर और बोली,
ज्यों आम डाल कोयल कोई बोली,
चंदन सा तन, केश स्याह सर्प से लहरे,
रखे कदम, उनचास पवन संग डोलें,
दीर्घ भाल शोभे जहां बिंदी अति प्यारी,
पलक झपक छाएं घटा अति काली,
अधर मुस्कान दामिनी सम चमके,
कोमल कर, स्पर्श मलमल सम लागे।-