Shukh   (शुख)
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राधे राधे 🙏

#shukh
Joined 9 March 2018


राधे राधे 🙏

#shukh
Joined 9 March 2018
23 APR AT 2:08

भारत के शीष पर,
सोए आज कई लाल,
नववधू वो बिलख रही,
संग पड़ी पिया की लाश,
हिंदू धर्म में जन्म ले,
कीमत चुकाई उसने आज,
क्यों धरा पर सब मौन देख रहे,
वसुंधरा पर पलता विषैला नाग,
आज डसा धरती के स्वर्ग को,
कल डसेगा वो पाताल।

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23 APR AT 1:49

हे राधे थोड़ी शक्ति देना,
श्याम कृपा बस इतनी कर देना,
जिसने छुआ शीष भारत का,
उसका शीष भारतीय सेना को देना,
भले ही पा ले चैन की नींद कुछ रात,
किंतु एक हफ्ता से ज्यादा मत कटने देना,
बस श्याम कृपा इतनी कर देना।

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20 APR AT 9:49

Main uski tasveer nihaar,
Uske kajal se sawal karta hun,
Konse yatn kiye tune,
Jo uski ankhon me samaya hai...

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19 APR AT 2:51

मैं उस से दिल लगा तो लूं,
पर उसकी आंखों पर तिल का पहरा है।

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25 NOV 2024 AT 20:46

ख्वाहिश यही कि देखता ही रहूं उन्हें,
वो गुलाबी सूट मैं खिला गुलाब लगती हैं,
चुराया है सरसों के फूलों ने रंग उनके लिबाज से,
पीले सूट में वो खूबसूरत बहार लगतीं हैं,
इतराता है उनका आईना,
जिसे देख वो श्रृंगार करती है,
खो सी जातीं हैं वो प्रकृति में,
वो प्रकृति से इतना प्रेम भाव रखती हैं,
इंतजार रहता है उनका कुंग की कलियों को,
उन्हें देख कलियां खुद का श्रृंगार करती हैं,
सुशोभित हो जाती है घड़ी उनकी कलाई पा कर,
रात भी उनकी आंखों में समा दिन में आराम करती है।

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24 NOV 2024 AT 16:47

एक तरफ है तस्वीर उसकी,
एक तरफ शीशे में शराब सजी है,
एक उठाऊं तो गम पल में मिट जाए,
दूसरी तरफ गम जिंदगी भर को मिल जाए।

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23 NOV 2024 AT 9:56

सजल नयन व्याकुल है मन,
जाने कौन जतन कर रोक श्याम को लूं,
सोच रही सखि खड़ी, क्या कर जतन,
स्वयं को जोड़ श्याम संग लूं,
प्रीत श्याम की में हुई बेसुध सी,
भरी दही की मटुकिया, नीर भराए चली,
कांटे लगे पग में,
वो उलझाए चीर फटाए चली,
इत बने श्याम निर्मोही,
आज जाए परसो आवन की कहते हैं,
व्याकुल हैं पशु पक्षी सभी,
चितचोर आज चित्त चुराते हैं
कौन समझाए मात यशोदा को,
बची स्वांस किंतु प्राण हरते हैं।

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16 NOV 2024 AT 19:48

होती है दिल पर दस्तक,
हम अब खामोश रहते है,
जो बढ़ना चाहे कदम,
हम उन्हें थाम लेते है,
बड़ी कठिन है यह,
प्रेम रीत निभानी,
हम ये दिलासा,
दिल को देते है,
टिकती है निगाहें,
जब किसी चेहरे पर,
हम हाल इश्क का,
जानकर नज़र मोड़ लेते है,
भरी महफिल में,
जाने से कतराते है,
खुद संग जिंदगी के,
हर पल जी लेते है,
बढ़ी दिल की धड़कन को,
हम थाम लेते है।

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15 NOV 2024 AT 14:30

शीतल छवि, मन निर्मल जैसे नीर गंगा,
सुंदर नयन, मुख ज्यों पूनम का चंदा,

मधुर वचन, मधुर ही स्वर और बोली,
ज्यों आम डाल कोयल कोई बोली,

चंदन सा तन, केश स्याह सर्प से लहरे,
रखे कदम, उनचास पवन संग डोलें,

दीर्घ भाल शोभे जहां बिंदी अति प्यारी,
पलक झपक छाएं घटा अति काली,

अधर मुस्कान दामिनी सम चमके,
कोमल कर, स्पर्श मलमल सम लागे।

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13 NOV 2024 AT 17:30

हर शख्स ही मुझसे खफा बैठा है,
मैं किस - किस की उम्मीद पर खरा उतरू।

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