असफलता की रात्रि सफलता की कहानी लिखने का सबसे अच्छा समय है।।👍
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कविता खुद ब खुद बहने लगती है।
तर्क से उत्पन्न ज्ञान एक वैश्या की तरह है जो क्षणिक सुख (ज्ञान) प्रदान कर सकती है, साथ ही नया और अच्छा मिलने पर पुराना निष्प्रयोज्य हो जाता है। वहीं शांति से उत्पन्न ज्ञान सुलक्षिणी पत्नी की तरह सर्वकालिक होती है।
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ये वक्त मेरे लिए
कांटो के विस्तर सा है,
तुम्हारे जानें से मन में,
सूखे पत्ते के पांव में चुभन सा है।
सामने दर्पण.....,
कुम्हलाए चेहरे की आंखों मे तुम्हें ढूढता सा है,
तुम्हारा जाना......,
न जाने क्यों बहुत अखरता सा है।
लफ्ज़ तो कैद है,
मगर मन आज भी तरसता सा है।
नजारे तो बहुत हैं,
मगर वो खिड़की का चांद नजरों में तैरता सा है।
कुछ कहनें कि ख्वाहिश न थी,
बिन कुछ कहे चले जाना दिल को कचोटता सा है।
हालात.......(क्या बताऊं),
हरी कोपलों के साथ डाल सूखा सा है।-
ये वक्त मेरे लिए
कांटो के विस्तर सा है,
तुम्हारे जानें से मन में,
सूखे पत्ते के पांव में चुभन सा है।
सामने दर्पण.....,
कुम्हलाए चेहरे की आंखों मे तुम्हें ढूढता सा है,
तुम्हारा जाना #ठकुराइन......,
न जाने क्यों बहुत अखरता सा है।-
लफ्ज़ हजारों थे,
मगर हमने तो बस कोरे कागज लगा रखे थे।
#ठकुराइन आपका यूं आना तो कयामत सा लगा।
मगर बस ऐसे चले जाना एक कहानी सी रह गई......-
किसने कहा था कि दरिया बन जाओ?
तुम समंदर ही अच्छे थे,
कम से कम दिखते तो थे।।
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लोग चाहते तो चाँद हैं,मगर बेदाग़ चाहते हैं।
अब इन्हें कौन बताए ,
कोई और न चाहे इसीलिए ,खुदा ने चाँद दागदार बनाए।।-