जब भी मैं लिखूँ प्रेम
तुम समझना,
नदी के समानांतर चल रहे
दो किनारों के बीच के संबंध को।
— शुभ्रजा निधि-
Shubhraja Nidhi
(Shubhraja)
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आम बनी हूं किसी खास की तलाश में..
आम बनी हूं किसी खास की तलाश में..
Joined 23 April 2017
26 SEP 2024 AT 12:18
2 OCT 2021 AT 21:40
Thanks for being with me and being my heart... You support my body for keep me alive and I'm thankful for making me so strong. 💖
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18 SEP 2021 AT 23:42
Self love and self care is most important right now...
We always forget ourselves in our family but we have to remember that if we fail in self careness then our family collapse ASAP-
14 SEP 2021 AT 20:23
है संस्कार और संस्कृति से
हरी-भरी और फली-बढ़ी
भुल जाएं चाहे हम सबकुछ
ना भुले मगर अपनी हिंदी-
13 SEP 2021 AT 1:25
पता है मुझे उसका प्यार बस एक दिन का है फिर भी मैं सुनती हूं उसको, निहारती भी हूं, हर दिन, हर पल क्योंकि उसके लिए मेरा प्यार अनंत है।
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7 SEP 2021 AT 23:19
पास तो हो मगर
दूर का चांद हो तुम
हां यह सच है कि
दूज का चांद हो तुम
कितनी बार चाहा दिल ने
तुम्हारा दीदार करना
पर जानता है दिल
दूज का चांद हो तुम
पास तो हो मगर
दूर का चांद हो तुम-