आओ चलो एक नए समाज का निर्माण करें,
जहां हर चीज पर्याप्त हो फिर ना कोई देह-व्यापार हों,
जहां फिर ना कोई निर्भया हो ना कोई फिर निर्मला सी हो ,
जहां हर स्त्री सिया सी हो जहां हर स्त्री सही मायने में स्त्री सी हो ,
जहां रात का काला साया किसी माँ-बाप की चिंता ना बढ़ाए ,
जहां बियाह के ना पे कोई बिटिया घर ना बैठाई जाए ,
जहां हर किसी को ख्वाब बुनने की आजादी हो जहां हर कोई सम्मान की दृष्टि से देखा जाए ,
जहां नर नारी का कोई भेद ना हो ,
जहां नारी होने पर कोई खेद ना हो।।.....
–Shubhra Mishra-
Insta के जमाने में मुझे कोई 90's वाला चाहिए,
शब्द तो हर कोई समझ लेता है ,मुझे मेरी ख़ामोशी समझने वाला चाहिए ,
Makeup तो हर किसी को पसंद आ जाता हैं ,तुम एक बिंदी में भी कमाल लगती हो बोलने वाला चाहिए ,
साथ निभाने का वादा तो हर कोई करता हैं, मुझे कोई मेरे साथ सात फेरे लेने वाला चाहिए।।...
-Ishubhra Mishra
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जब तुम्हारे पास time है तो मेरे साथ pass करोगे ही,
जब हम चले जाएंगे तो तन्हाई में बैठ के हमें याद करोगे ही,।।...-
खुद जिस्म की नुमाइश करते हो और तुम मुझे बदनाम करते हो,
खुद मोहब्बत नहीं हवस रख के मुझसे इश्क़ करने की बात करते हो,
तुममें शर्म कहां से होगी तुम तो बेशर्मी का नकाब जो ओढ़े रहते हो,
मोहब्बत की उम्मीद क्या करूं तुमसे ,तुम तो आशिक 4 रखते हो,
गलती मान नहीं सकते अपनी क्योंकी सच सुनने की हिम्मत नहीं रखते हो ,
और सुनो मेरी जान मेरे नाम पर कीचड़ उछालने की तुम औकात नहीं रखते हों,
Insta, fb, whatsapp हर जगह अपने दिल बहलाने का इंतजाम करते हो ,
और कमाल का हुनर हैं तुम्हारे पास तुम चेहरे पे चेहरे का नकाब रखते हों।..
–Ishubhra Mishra
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रातें
तुम्हारी सो के गुजरी हमारी रो के गुजरी।।...
-Ishubhra Mishra
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वो अलग हुए हमसे हालात का वास्ता देकर जो हालात बदलने की बात किया करते थे।।...
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हर किसी से राज -ए दिल बयान किया नहीं जाता ,
हर किसी को अपना समझा नहीं जाता,
और जो कल तक खामोशियां पढ़ लेता था मेरी अब उसे मेरा अल्फ़ाज़ तक समझ नहीं आता।।
–Ishubhra Mishra
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