shubhra banerjee  
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Joined 22 March 2022


Joined 22 March 2022
2 HOURS AGO

वक्त वक्त की बात है
नर्म मखमली अहसास दिल के,
लगतें हैं अब,बस ख्यालात हैं
सच जुबान पर आ लगता है कड़वा
जहान में झूठ की करामात है,,,,
लहज़ा तुम्हारा बता रहा है,
नीयत बदल रही है तुम्हारी
ज़िंदगी तुम पर है उधार बहुत कुछ,
अब यह आख़िरी ही सही"मुलाकात है,,,,
सुबह -सवेरे होता था ज़िक्र अपना,
पता चलता नहीं था,कब रात है
अब बढ़ गई है तकल्लुफ दरमियान,
बस वक्त वक्त की बात है।

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5 MAY AT 14:34


चलता रहे तुम्हारा यूं ही,
रोज़ -रोज़ हमें जी भर सताना
हम रहे ज़िंदगी भर इंतज़ार में इधर,
और तुम्हारा ना मिलने का रहे बहाना,,,,
तुमसे हमें रहे शिकायतें हरदम,
देखो तुम पिघल ना जाना
मैं मांगती रहूं तुमको ही तुमसे,
तुम आदतन फ़िर से मुकर जाना,,,,
मोड़ लेना मुंह,पर बताकर हमें,
हम फ़िर देंगें नहीं तुम्हें ताना
तोड़ देंगे ख़ुद ही जोड़ सारे,
ज़िंदगी तुम छोड़कर मत जाना।

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4 MAY AT 15:40

तब मोहन आते हैं
भरोसा हो प्रह्लाद के जैसा,
दोस्ती सुदामा जैसी
बुलाओ तो द्रौपदी जैसे,
प्रीत करो तो मीरा सी,,,
खोल सको मोह के बंधन राधा से,
रूप हो जाए आधा -आधा
हर बाधा में हांथ बढ़ा लो,
थामेंगे मोहन,यह है उनका वादा,,,,
पाने का उनको भरम ना रहे,
खोकर खुद को,उनको पातें हैं
अपने मन के खोल कपाट,
तब ही मोहन आतें हैं।

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3 MAY AT 22:36

अब नया कोई रहबर हो
एक अरसे से सुन-सुनकर,
मेरी पुरानी घिसी-पिटी कहानी
तुम्हें भी अब लगता होगा‌ ना,
बुद्धू ही‌ हूं,नहीं‌ हुई‌ सयानी,,,,
बात-बात पर आंखों‌ में पानी,
कभी -कभी तो बन जाती नानी
हवा‌ -हवा‌ में रहती हैं‌ मेरी बातें,
याद दिला‌ती हूं‌ वादा कभी मुलाकातें,,,
अब ऐसे में‌ कैसे ही‌ बसर हो,
ज़िंदगी तू अब हमसे बेखबर हो
तेरे कान‌ पका दिए बक-बक करके
अब तेरा कोई नया रहबर हो।।

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3 MAY AT 22:23

वाकई में तुम मास्टर हो
हम रहे पढ़ाते पहाड़े-ककहरे,
मास्टरनी बन कर बहुत दहाड़े
सही -गलत का मतलब समझाया,
पर गणित दुनिया का हमें ना आया
ख़ौफ़ नहीं था रंज़ों का कभी,
ना मुश्किलों से घबराए
जब भी दामन पसारा अपना,
भर-भरकर खुशियां भी पाएं,,,
जाने कहां नदारद हो गईं,
चिंताएं मानो हो गईं‌ सेरैंडर हों
हमें हराने का आता है तुम्हें हुनर,
ज़िंदगी वाकई‌ में तुम मास्टर हो।

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3 MAY AT 14:37

तू दरिया,मैं नदिया
है अनंत तू,जब भी देखा है,
दिखता ना कोई छोर है
शोर तेरी लहरों का है मुझमें,
मौन हुआ मेरा हर पोर है,,,,
मैं चलती रही,ठहरी नहीं,
कब गुम हुई तेरे साथ कहीं
तेरे भंवर में उलझी सांसें यहीं,
मुड़कर देखा तो ",मैं" रही नहीं,,,
बस में नहीं कि बस में कर लें,
खोल दिया मन का हर ज़रिया
बोल -बोल कर अब मन माना,
ज़िंदगी तू दरिया,मैं नदिया।

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30 APR AT 22:43


बन-ठन कर मन बड़े घुमक्कड़,
चले कहां बरसाने या बक्सर को
अता-पता पूछा है ज़िंदगी से,
मिलते नहीं वहां कोई अक्सर को,,,
आ जाएगा फिर घूम-घाम कर,
रोकेगा ना कोई हांथ थाम कर
मायूस लौटेगा,मुंह फुलाए,
किसने कहा उधर जाने को,,,
कितने कतार में अब भी खड़े हैं,
दरस की परस में वहीं पड़े हैं
भटककर फिर यहीं आना है तुझको
पूछ बैठेगी ज़िंदगी,किधर जाना है तुझको।

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30 APR AT 15:00


चांद को ताक-ताक कर,
थक गई अब आंखें
अब इनमें कैसे नए सपने जगे
बेकार में बस नींद बहकने लगे।
हांके अब मन झूठ -मूठ का
मुंह बाए खड़ा एकदम ठूंठ सा
क्या मुंह दिखाए हारा अपना,
कह दिया जुगनू चमकने लगे,,,,
दूर-दूर तक भागता है मन पीछे,
जान बूझकर क्यों तू खींचे
ज़िंदगी कैसी है तेरी कस्तूरी,
अंधेरे महकने लगे।

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30 APR AT 14:35

ज़िंदगी तू पहेली है क्या
जब-जब हो जातें हैं अंधेरे मन में,
झट से आकर सूने जीवन में
आकर पूछता है ख्यालों में मुझसे,
सचमुच तू अकेली है क्या?
ना - नुकुर चलती है कहां मेरी,
टुकुर-टुकुर देखे नज़र तेरी
आंखों में कल के सपने जाग कर,
मुझसे ही कहें पगली है क्या?
सांसों की डोर ऐसी उलझी,
बंध गया हर छोर मेरे मन का
तुझको सुलझाने बैठी रहतीं हूं,
ज़िंदगी तू पहेली है क्या?

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26 APR AT 23:54

दिल में इश़्क भरा है
इस दिल के कितने ऐहतराम देखे,
रात-दिन इसके बस काम ही देखे
छानकर ऱंजों को सलीके से,
रहता ख़ुद सोने सा खरा है,,,,
निभाता है अपना हर वादा,
ज़िंदगी के हाथों का यह प्यादा
नस-नस में बहता है इसका लाल रंग,
और दुनिया कहती है,यह थोड़ा बुरा है।
धड़कता है तड़पकर -बिखरकर,
मुकरता नहीं बात से अपनी पलटकर
सारा मसला इसी का करा -धरा है,
दिल में बस इश्क़ भरा है।

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