आज़ाद थे अपने घर के अगन में,
शहरों की कमाई ने कैद कर लिया।-
Thought , saying & poem ...
लौट जायेंगे सारे परिन्दे फ़िर से शहर को,
सुना हैं घरों में रहकर घर नहीं चला करते।-
एक ख़्वाब टूटा, हम दो में बिखर गये,
तुमने यू छोड़ा मुझे, हम तो निखर गये।-
इस मोड़ पे तुमने मुझे भी पीछे छोड़ दिया,
अब तुम तो हो लेकिन तुममे हम नहीं"-
दरिया जब समंदर में मिल जाता हैं,
तब जैसे दिखता हैं वैसा कहां रह जाता हैं।-
"बाबा ❤"
जीवन का प्रेम-प्रसंग सार हो तुम,
मेरी खुशियो का आभार हो तुम,
तुम हो तो हम हैं बाबा
मेरे अस्तित्व का आधार हो तुम,
जिस आंगन में संभले हैं लड़खड़ाते कदम,
बाबा उस आंगन कि चार-दीवार हो तुम,
जीवन में मुसीबतों के पहाड के लिए,
दशरथ मांझी सी धार हो तुम,
यूँ तो दिखने में बहुत बड़ी हैं दुनिया बाबा,
उस बड़ी दुनिया में मेरा छोटा संसार हो तुम,
जो किसी से ना मिल सके वो प्यार हो तुम,
बाबा जीवन का प्रेम-प्रसंग सार हो तुम,
Love for PAPA❤-
कुछ अधूरी बातें परेशान करती हैं तुम्हारी,
दुबारा फ़िर से मिलना पहली बार की तरह।-