आएँगी पथ में बाधाएँ, छाएँगी प्रलय की घोर घटाएँ !
आग बनकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा !
क्योंकि मैं हूँ नीली,गबरीली चिड़िया, जिसे नदी से बहुत प्यार है !
जो नदी का दिल टटोल कर,चोंच मारकर, जल का
मोती ले जाती है !
और अपने कर्तव्य पथ पर फिर अग्रसर हो जाती है !



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