बस एक बार कहो तुम मेरी हो।
हम घूम चुके बस्ती वन मैं,
एक आँस का फांस लिए मन में,
कोई साजन हो, कोई प्यारा हो,
कोई दीपक हो, कोई तारा हो,
जब जीवन रात अंधेरी हो,
बस एक बार कहो तुम मेरी हो।
जब सावन बदल छाये हो,
जब फाल्गुन फूल खिलाएं हो,
जब चंदा रूप लूटता हो,
जब सूरज धूप नहाता हो,
या शाम ने बस्ती घेरी हो,
बस एक बार कहो तुम मेरी हो।
हाँ दिल का दामन फैला है,
क्यों गोरी का दिल मैला है,
हम कब तक पीत के धोखे में,
तुम कब तक दूर झरोखे में,
कब दीद से दिल की सेरी हो,
बस एक बार कहो तुम मेरी हो।- Shubhamm Tiwaari (अनंत)
28 DEC 2018 AT 18:22