Shubham Upadhyay   (शुभम्_अस्तु)
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Govt. Of Goddess
दुर्गा_सरकार
दुर्गा काली तारा अपरंपार।
भगवती भयहारिणी संकट टार। -बरवैछंद
Joined 27 May 2018


Govt. Of Goddess
दुर्गा_सरकार
दुर्गा काली तारा अपरंपार।
भगवती भयहारिणी संकट टार। -बरवैछंद
Joined 27 May 2018
11 APR 2020 AT 0:05

हे पूज्यवर! कर जोड़ करता वंदना मैं आपसे
करते रहो उपकार मुझपर करुणा ही के भाव से
आचार्य हैं, इक भाव है श्रद्धा का जुड़ता आपसे
संबंध तो रखिए इधर, गुरु के सरीखे बाल से

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18 APR 2021 AT 21:07

उचककर देखती है निगाहों से रुसवाई
आज दिल के दरीचे में ये जश्न कैसा

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2 APR 2021 AT 20:45

लेखनी से रिसती है व्यथा भी कभी-कभी
हर बार प्यार से प्यार ही नहीं लिखा जाता

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14 MAR 2021 AT 18:43

कलंकित चाँद मैं देखूँगा हर बरस,
बस मुझे बदनामी तुम्हारे नाम से मिले

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25 JAN 2021 AT 22:21

सिलवटें, सन्नाटा और घुप्प अंधकार लपेटे हुए कमरा,
ठीक करता है सिकुड़न, चीरता है सन्नाटा
और देखता है अंधेरे के पार
जब थका हुआ आदमी आता है उसके पास
दो घड़ी को आराम के बहाने

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19 JAN 2021 AT 21:57

यूं मुसलसल ख्वाब में आना बुरा नहीं है
पर तुम्हारा अक्स भी, मुझको दिखाता आईना

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9 JAN 2021 AT 20:30

चलो बिखेरते हैं स्याहियां पन्नों पर,
बिखरते अश्कों से दिल भर गया अपना

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6 JAN 2021 AT 22:40

इसलिए सियाही ने कागज को रंगीन किया,
कि तुम्हारे आगे रोने की हिम्मत न थी मुझमें

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1 DEC 2020 AT 18:32

महामर्षपूर्णभावेन चण्डि निमिषमात्रे हि हरति दुर्गं
दुर्गेणाभितो भीतो भूत्वाहमद्य तामबलां शरणं प्रपद्ये

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22 NOV 2020 AT 21:30

नभ से झरते तुहिन कणों से
चाहे जितनी वसुधा सजती
पर अवमर्श हस्त को आर्द्रित
पल में सुंदरता हर लेती
झिलमिल से मोती समान थें
अपहृत अब दूर्वा के तन की
प्यास नहीं बुझती मन की

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