समय की श्याही से लिखे कुछ किरदार हैं हम
समय आयेगा तो हम भी मिटाये जायेगें ||-
Studying in Galgotia college.....
Lives in greater Noida.
तुम्हे पाने की चाहत मे
बहुत कुछ छोड़ आया हूँ
बता एै मंजिल मेरी
कहाँ तक और आना है||-
ये समझ है की अधूरा हूँ मै
इतना टूटकर भी पूरा हूँ मै
ये दिन रात सब भ्रम है यहाँ
सूरज की किरणों का सवेरा हूँ मै ||
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दूर आसमां मे चमकता वो सितारा हूँ मैं
जब सूरज ढलेगा तो नजर आऊंगा
दिन के उजालों मे मुझको कहाँ ढूंढोगे
रात होगी तो चमकता नजर आऊंगा ||-
गीत तुम पर लिखूँ गीत तुम पर कहूँ
तुम जो मेरे बनो तुमको अपना कहूँ,
प्रेम के पृष्ठ मे होगा चेहरा तेरा,
तुम जो मेरे बनो तुम पर कविता कहूँ ||
प्रेम की व्याकरण कौन समझा भला
तुम जो आओ अगर प्रेम तुमको कहूँ,
प्रेम का ये समर्पण है समर्पण बड़ा
तुम जो समर्पण करो तो मैं तेरा बनू ||
मेरे प्रेम का ऐसा दपर्ण हो तुम
खुद को देखू जभी मैं तुम सा लगूँ ||-
कहीं दूर खुद को मैने छोड़ा था जहाँ
अब उसी से फिर मिलने की फिराक मे हूँ ||-
इतना भी कहाँ तुमको रोका है मैने
ख्वाबों मे आने की कोई पाबंदी नहीं है ||-
इतनी दूर तलक आकर कहीं खोया हुआ हूँ मैं
जहां रौशनी खुर्शीद की आती नहीं है अब ||
ये चाँद, तारों की बातें बहुत हुई साहब
ये ही चाँद तारों की बातें आती नहीं हैं अब ||
मुझे मंजिल समझ कैसे राहें तये करोगे तुम
मुझ तलक कोई राहें आती नहीं हैं अब ||
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तुम्हारी आँखे वो सब बता रही थी
जो तुम्हारे होंठ कह नहीं पाये ||-