माँ, तेरे बिन घुट जाता हूँ, बातों का दर्द सताता है मुझे।
ना मैं सबकुछ कह पाता, ना ही कोई सुन पाता है मुझे।।-
कबतलक करता ग़ुलामी वक्त की हर वक्त मैं,
वक्त को अपना बनाया,सा... read more
लड़त हिन्द है युद्ध, शुद्ध नीयत से शत्रु विरुद्ध।
सत् साहस, संकल्प साज के, है वो वीर प्रबुद्ध।।
करो समर्पण सकल सनक संग, सतर साध लो अवसर,
कर मत देना कुत्सित कर्मों से तुम काल को क्रुद्ध।।
(सतर-: जल्दी, अविलम्ब)
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳-
वादा रहा ये तुमसे, हम साथ हर कहीं हैं,
कह पा रहा हूँ क्यूँ कि, हम साथ में नहीं हैं।।
(Social media की Post और reel के माध्यम से सेना का साथ देता हुआ एक e-देशभक्त)
जय हिंद🇮🇳-
है विषादी भार दिल पे, मन का सुख अवरुद्ध है,
भाग्य ना अनुमान पाता, नियति कितनी क्रुद्ध है।
दर्द की हद है नहीं अब, आत्मा का है दहन,
हूँ पराजित, ये विनाशी एकतरफा युद्ध है।।-
कह तो नहीं सकते, वो क्या-क्या करेगा?
पर उसका आना, हर दर्द की दवा करेगा।
वो क्या है? ये सोचना, फिर सोच के जान लेना,
भरोसा सुकून का करना, वो भरोसे से वफ़ा करेगा।।-
Future का हर plan यहाँ पर सफल कहाँ होता है,
रातों के सपनों का कोई कल कहाँ होता है।
भाग्य और सामर्थ्य तुम्हारा उसके मन की मर्जी हैं,
ईश्वर के मुश्किल प्रश्नों का हल कहाँ होता है।।-
दोस्त कह देने से, मुख़ातिब हर किसी से नहीं होते हैं,
जिसे तवज्जो दिया करते हैं, हम उसी के नहीं होते हैं।
दोस्त कह देना, दोस्त होने से आसान होता है,
किसी की जरूरत से ज्यादा, हम किसी के नहीं होते हैं।।-
राज हैं, कुछ सीमाएं हैं, पारस्परिक सम्मान है ये।
दोस्ती तो मत कहना, बस जान पहचान है ये।।-
नेक दिल तुम हो, कि हम दिल हार कर बैठें।
बात ही बातों में बातें चार कर बैठें।
साथ देने का किये वादा मुकम्मल ख्वाब तक।
पर जरूरी है न कि हम प्यार कर बैठें।।-
'माँ'
किससे बोलूँ मन की बातें, कौन हरे पीड़ा इस दिल की,
आपका ना होना मुश्किल है, कौन निकाले हल मुश्किल की।
आँसू निकले उससे पहले, हँसी लबों पर रख देती थीं,
बोलो ना अब आप ही कैसे, तड़प मिटाऊँ रोते दिल की।।-