Shubham Tripathi Shreesh   (श्रीश मणि त्रिपाठी 'शुभम)
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Joined 7 December 2017


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Joined 7 December 2017

सच कहता तो उसको अपनी, आस कह दिया होता,
कह पाता तो उसको सबसे, खास कह दिया होता।
प्रेम, साँस, विश्वास न जाने क्या-क्या उसको माना था,
सोचता हूँ आज भी मैं,,,,,, काश कह दिया होता।।

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19 JUL AT 19:15

कल तलक भी आपके थे, आपके ही आज हैं।
अर्श पर हो आप, हम ही जानते सब राज हैं।
आप जीते जंग तो, मत्थे सजाया ताज सा,
जीत कर भी तख्त कितने, अब भी हम बेताज हैं।।

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26 JUN AT 17:03

इश्क़ की इश्कियत को कबूल करके देख लो,
खर्च करके खुद को, कुछ वसूल करके देख लो।
याद में बस वो रहेगी, इश्क़ ऐसी भूल है,
भूल जाओगे जहाँ, ये भूल करके देख लो।।

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-कहाँ तक छीनोगे-
जीत छीन लो, प्रीत छीन लो,
जीने की उम्मीद छीन लो।
छीन लो उत्सुकता साँसों की,
आँखों से तुम नींद छीन लो,
सपने छीनो, भाग्य छीन लो,
दुआ और फरियाद छीन लो,
हँसी छीन लो, खुशी छीन लो,
सारी मीठी याद छीन लो।
दे दो परिचय आज हदों का,
कितना छीन सकोगे तुम,
पूछ रहा है हठी हृदय,
कितना हियहीन बनोगे तुम?
मन से मेरे आशाओं का,
अर्श कहाँ तक छीनोगे,
परिणाम छीन लो,
पर मुझसे संघर्ष कहाँ तक छीनोगे।।

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माँ, तेरे बिन घुट जाता हूँ, बातों का दर्द सताता है मुझे।
ना मैं सबकुछ कह पाता, ना ही कोई सुन पाता है मुझे।।

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लड़त हिन्द है युद्ध, शुद्ध नीयत से शत्रु विरुद्ध।
सत् साहस, संकल्प साज के, है वो वीर प्रबुद्ध।।
करो समर्पण सकल सनक संग, सतर साध लो अवसर,
कर मत देना कुत्सित कर्मों से तुम काल को क्रुद्ध।।
(सतर-: जल्दी, अविलम्ब)
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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वादा रहा ये तुमसे, हम साथ हर कहीं हैं,
कह पा रहा हूँ क्यूँ कि, हम साथ में नहीं हैं।।

(Social media की Post और reel के माध्यम से सेना का साथ देता हुआ एक e-देशभक्त)
जय हिंद🇮🇳

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है विषादी भार दिल पे, मन का सुख अवरुद्ध है,
भाग्य ना अनुमान पाता, नियति कितनी क्रुद्ध है।
दर्द की हद है नहीं अब, आत्मा का है दहन,
हूँ पराजित, ये विनाशी एकतरफा युद्ध है।।

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कह तो नहीं सकते, वो क्या-क्या करेगा?
पर उसका आना, हर दर्द की दवा करेगा।
वो क्या है? ये सोचना, फिर सोच के जान लेना,
भरोसा सुकून का करना, वो भरोसे से वफ़ा करेगा।।

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Future का हर plan यहाँ पर सफल कहाँ होता है,
रातों के सपनों का कोई कल कहाँ होता है।
भाग्य और सामर्थ्य तुम्हारा उसके मन की मर्जी हैं,
ईश्वर के मुश्किल प्रश्नों का हल कहाँ होता है।।

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