Shubham Tripathi   (शुभम् त्रिपाठी 'मस्ताना')
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Joined 7 May 2018


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6 OCT 2020 AT 20:30

जो पढ़ लेते थे आँखें कभी ,
अब आँखें वो चुराते हैं ।
जो सुन लेते थे ख़ामोशी मेरी ,
अब लफ़्ज़ नही समझ पाते हैं ।

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22 SEP 2020 AT 20:05

तेरे जिस्म की ख़ामियों से मुहब्बत है मुझको ,
हर तिल पे तेरे मेरा दिल लुट जाता है ।

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16 SEP 2020 AT 2:09

कल तक जो जान था, आज अनजान सही ।

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7 SEP 2020 AT 16:27

जो बेवफ़ाई में ख़ताएँ रंगीन करते हो ,
ऐ बेवफ़ा ! तुम इश्क़ की तौहीन करते हो ।

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6 SEP 2020 AT 3:01

मैने हर वो चीज़ आज़मायी है ।
जिसमे तेरी खुशबू समाई है ।
चाहे चूनर हो या चादर हो तेरी ,
मैने सीने से लगाकर रातें बिताई हैं ।

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4 SEP 2020 AT 1:53

अब फ़र्क नही पड़ता बेरुख़ी से तेरी ,
इश्क़ तेरा कुछ ऐसा मर चुका है ।
जी जाती थी आँखें जिस शक़्स के दीदार से,
वो शक़्स ही अब मेरी आँखें भर चुका है ।।

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3 SEP 2020 AT 13:26

मैं , अब तुझे याद नही करता ,
खुद से अब तेरी बात नही करता ।

दे दिये तूने ज़ख्म मेरे हिस्से के मुझको ,
कुछ और अब खुदा से फ़रियाद नही करता ।

मैं , अब तुझे याद नही करता ।।

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2 SEP 2020 AT 2:00

मेरी रातों की मुहब्बत का क्या खूब सिला दिया ।
जो एक दिन की अमावस में तूने चाँद भुला दिया ।।


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31 AUG 2020 AT 1:48

तेरे इश्क के साए में खिलने अब लगा हूँ ।
खुदा मिल गया जो तुझसे मिलने अब लगा हूँ ।।

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28 AUG 2020 AT 15:47

कम्बख़्त ! कहता है मुझसे वफ़ा करता है ।
झूठ से ना जाने किसका नफ़ा करता है ।
देखा था तुझे जाते किसी और के साथ,
उस कोठी में, जहाँ तू मुझसे दगा करता है ।।

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