चाहता हूं एक बार फिर
मैं युद्ध में हार जाऊं
उठाऊं शस्त्र पर हो वो सामने
और मैं शंकित भीष्म सा
शस्त्र छोर कर
उसके बाणों से बिन्ध जाऊं, अंतत:
जिंदगी त्याग कर मैं मौत पर विजय पाऊं।
चाहता हूं एक बार फिर..-
मैं वो शोर नहीं, जो सन्नाटे का ताज बनूं।।
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सुकून के लिए लोग कहां कहां नहीं जाते है
और एक हम है कि
तेरे और पास चले आते है/-
स्वार्थ के जाल में
किसका क्या हाल है?
सुख के फेर का
कितना अजीब मायाजाल है/
कभी खुद से व्यथित
कभी दूसरों पर दोष,
घुट घुट के जीते हुए
कमजोरों पर रोष /
कभी प्यार की दरकार
कभी प्यार में तकरार,
ऊपर वाले का रचा
ये पहेली सा संसार /
ये मेरा है वो तेरा है
भ्रम का कोरा ताना बाना,
जब मौत द्वार को झेकेगी
अहसास तभी सब यही रह जाना/-
Is it your
Emotional burst?
Or just an allude
Of layered rust
Dispersed on heart
Smited own aviary
Decided to live in
Stoic penury.
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गिरते आंसू को पानी कह कर
अपनी आखों को
मेरी आंखों से मोड़ दिया,
मेरी बाहों में जीना कहकर
अपने होंठो को
मेरे होंठो से जोड़ दिया /
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थम गया था
जो सब उन लम्हों में,
तूफान बन के आया है
तेरे जाने के बाद।-
वो मेरी बाहों में टूटी है इस कदर कि,
बरसों को अधूरी अंगड़ाइयां मदहोश हो उठी।।-
मेरे इश्क के बैनामे में,
तेरे जिस्म के हर हिस्से का दस्तखत होगा।।
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प्यार में वक्त रहते संभल कौन पाया है
इस खामोशी में दबे पांव कौन आया
है,
दिल में आते समय दस्तक देनी होती है,
ये सीधे मेरे दिल के बगलअपने दिल का मकां किसने बनाया है?-