Shubham Soni   (Public_diary01)
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Joined 26 December 2018


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26 MAY 2022 AT 22:16

ऐ जिंदगी बस कर, अब! थक गया हूँ मैं
संभल जाने दे मुझे, फिर से गिरने के लिए

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22 MAR 2022 AT 20:59

मैंने गोया उसी को याद रखा,
उसने गोया मुझी को भुला दिया

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3 MAR 2022 AT 12:02

वैसे तो हर सफर की अपनी बात होती है
मगर ये चाय मुसलसल साथ रहती है

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10 DEC 2021 AT 19:10

मेरे तजुर्बों ने बहुत कुछ सिखाया है, मुझे
जो जैसा है, उसने वैसा ही पाया है, मुझे

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11 SEP 2021 AT 9:43

इक रोज सना मुझसे खफ़ा हुई
अब अना रहती है हुज़रे में मेरे

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8 AUG 2021 AT 10:43

ऐ! वक्त थम जा,
देख तेरे ज़ख्मों का मरहम आया है।
आज मेरा महबूब आया है....

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1 AUG 2021 AT 16:48

यारो अब वो रात कहां है
बादल है बरसात कहां है।
कहने को हैं,सारे रिश्ते,
यारों वाली बात कहां है।।

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1 JUL 2021 AT 17:12

यादों का अम्बार लगा है,
ना चाहा पर, यार लगा है।
कहने को बेकार लगा है,
लेकिन ये हर बार लगा है।।

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20 JUN 2021 AT 22:36

"How far do I have to go from my father to be like my father."

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11 JUN 2021 AT 23:03

ये जो सबसे हंसकर मिलना पड़ता है
क्या बतलाएं कितना संभलना पड़ता है

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