Shubham Sinha   (Royal Kayastha)
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'ये जीवन एक शायरी है '
love professionalism ✒
Joined 8 February 2019


'ये जीवन एक शायरी है '
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Joined 8 February 2019
29 MAR 2023 AT 16:59

शीर्षक: परेशानियां

माना यहां हर कोई परेशान है और परेशानियों ने जीवन का रस ही गायब कर रखा है।
अब संकोच होता किसी को हाल बताने में क्योंकि परेशानी तो हर दूसरे व्यक्ति का सखा है।।


कभी चिन्तित, कभी व्यथीत तो कभी भयभीत मैंने स्वभाव देखा
जिन्हे देखा मुस्कुराता समाज में , अंतः अकथित मनोभाव देखा

काल का ये खेल देख थक चुका करके संघर्ष यूं
एक हल निकाल लूं तो अगला कहता रह तैयार तू

हां विलाप ही तो कर रहा हूं जो श्राप बनी जिंदगी
बस विलीन होना चाहता हूं मृत्यु से कर अब बंदगी।।

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1 DEC 2022 AT 11:19

मनोवृति–३

बढ़ती उम्र संग जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं
लगे है रोज़ ये नई कहानी गढ़ रही हैं।
गुजर रहे हैं दिन नादानियां भी ढल रही हैं
ख्वाहिशें है मृत पर सांस मेरी चल रही है।।

बढ़ी हैं चाहतें और आश भी मां–बाप की
मिले नाकामियां प्रभाव हो जैसे श्राप की।
तलाशता रहूं मैं कमियां अपने–आप की
लगे है दाव भी मैं खेलता हूं साख की।।

न कम प्रयास में न मेहनतों में है कमी
हां हूं मैं चिन्तित और आंखों में है नमी।
है पाना आसमां पर आधार सिर्फ है जमीं
न मैं अकेला इस पड़ाव पर खड़े सभी।।

सभी कतारबद्ध लगे हैं कामयाबी के
दो दिन के बाद फिर दौर है नवाबी के
है पाना सब कुछ तो सब कुछ होगा झोंकना
दृढ़ निश्चयी बन खुद को सपने को ही सौंपना ।।

उठे चिंगारी भी धुवां तो थमने दो ज़रा
बढ़ेंगे तीव्र ही पांव राह में जमने दो ज़रा
न उगते सूर्य न समय से पूर्व खिलती कली
सुना नहीं है क्या दुर्घटना से है देर भली।।

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3 JUL 2022 AT 21:46

शाम हुई और अंधेरा भी छा गया है
अब घर लौटने का समय भी आ गया है
जिम्मेदारियां आई है घर चलाने की, और
मेहनत का ये तक़ाज़ा भी मुझे भा गया है!!

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14 JUN 2022 AT 12:05

लगता था जैसे खो चुका हूं आश मैं
बन अकेला जो न रहता तेरे पास मैं
तेरे साथ जीने मरने की आश मैं
बंद थी ये धड़कन ले रहा था सांस मैं
रहना चाहता हूं हर पल तेरे साथ मैं
बन जा भूख तू बनूंगा तेरी प्यास मैं

तुझे मैं नापसंद मेरी पसंद तू ही तू
तू देख ले अगर तो मर के भी मैं जी उठूं
हूं मांगता मैं रब से तू ही मेरी आरजू
तेरे बिना बता मैं कैसे यूं जिंदा रहूं
तू जो नहीं मिला तो सांस भी मैं त्याग दूं
तेरी कसम मुझे खुदको ही मैं आग दूं
भले बुरा हूं थोड़ा थाम ले जो हाथ तू
नशा न कोई ऐसा जिसको मैं न त्याग दूं !

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5 JUN 2022 AT 19:19

दूर होना किसी की चाहत नहीं होती
हर मजबूरी की बगावत नहीं होती !!

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27 MAY 2022 AT 11:51

प्रेम करने की भी हद वो पार कर गया!
उसपे मरते मरते वो खुद भी मर गया!! 💔

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12 MAY 2022 AT 19:28

बन जाऊं मैं भी शायर
अगर शायरी तुम बनो
सांसों में भर दूं सरगम
जो दिल से तुम कहो❤️

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30 APR 2022 AT 21:04

रब से एक ही ख्वाहिश रही है
बस तेरे साथ की गुज़ारिश रही है !❣️

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23 APR 2022 AT 21:40

सुनो इंतज़ार तो अन्तिम सांस तक रहेगा ....
बस थोड़ा जल्दी आना
पता नहीं मुझमें सांस कब तक रहेगा ..!!

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29 MAR 2022 AT 6:16

चलो कुछ मीठे ख्वाब बुना जाए
साथ एक दूसरे का ही चुना जाए❣️

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