एक रोज़ किन्हीं लहरों के किनारे ,
तुम बैठो हम भी संग तुम्हारे बैठे,
चंचल लहरों की बूंदों को कभी तुम देखो कभी हम ,
यूं हीं हम तुम एक रोज सूरज की आभा को स्वीकार करें ,
शांत मन के संग,
एक दूसरे से लहरों की बूंदों सूरज की आभा में बैठें प्यार करें ,
एक रोज किन्हीं लहरों के किनारे
तुम बैठो हम भीं संग तुम्हारे बैठे।।
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भावनाओं का प्रवाह व्यक्तिगत हो भले ,
पर असर व्यक्तिगत नहीं होता ,
सांसों की लय व्यक्तिगत हो भले ,
पर जीवन व्यक्तिगत नहीं होता ,
विचारों का क्रम व्यक्तिगत हो भले ,
पर प्रभाव व्यक्तिगत नहीं होता ,
चीजें जो भी दिखती हो व्यक्तिगत ,
उनमें होने वाली संभावनाएं व्यक्तिगत नहीं होती।।-
ना कुछ मलाल पूछो ना पूछो अब सवाल कोई,
ना उल्फतें तमाम जानों ,
ना हृदय का विषाद कोई ,
बताएंगे भीं क्या दिल आज उदास बहुत हैं।।-
माँ,
एक शब्द नहीं एक सार हैं ,
हर एक व्यक्ति के जीवन का आधार हैं ,
जैसे जड़ से जीवित रहता हैं वृक्ष ,
माँ वहीं पोषक तत्व आधार हैं,
माँ,
एक शब्द नहीं एक सार हैं ,
अंगों के घावों के जैसे जरूरी हैं मलहम ,
हृदय की वेदनाओं के अंत का ,
माँ हीं तो पुकार हैं ,
माँ ,
एक शब्द नहीं एक सार हैं ,
माँ हैं तो जीवन में खुशियों की बहार हैं ,
कांटों भरी दरख्तो में भीं ,
रेशमी सा आधार हैं ,
माँ की दुवाओं का असर ऐसा हैं ,
की हर खाई में भीं पूल हैं बहार हैं ,
माँ,
एक शब्द नहीं एक सार हैं ❤️-
वो अंगारों पे चलते हुए पैर,
फूलों को चाह भीं रखते हैं,
हर वो सक्स जो अधूरा हैं ईश्क,
पूरे होने की आस में हर रोज तड़पता हैं।।-
वो हर एक वादे तेरे मुझे याद हैं,
वो तेरा भरम में लाना भीं मुझे याद,
तूने सिखाया हैं वादे टूट जाते हैं,
मेरे लिए तो तुझे किया वादा आज भीं खास हैं।
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हाल अकसर पूछते थे जो पहले कभी,
अब वो भीं कमाल करते हैं,
जिंदा हों या नहीं,
अब ये भी पूछना लाजमी नहीं समझते हैं।।-
एक आखरी
टूट गए हैं रिश्ते तेरे मेरे,
पर एक आखरी बात तो बनती हैं,
अलविदा भीं दिल से हीं कहेंगे,
एक आखिरी मुलाकात तो बनती हैं,
ना करना उन लम्हों से कभी नफरत तुम,
जो बीते हमने खुशियों के पल गुजारे हैं,
खत्म होना कभी कभी हों जाता है लाजमी सा,
पर औरों जैसा दूर होना लाजमी तो नहीं हैं,
एक आखिरी मुलाकात तो बनती हैं,
तेरी सांसों की गर्माहट से,
एक बात तो बनती हैं,
दोनों के आंशुओ को मिलने को,
एक रात तो बनती हैं,
दूरियां बढ़ाने से पहले एक आखरी मुलाकात तो बनती हैं।।-
तुम भागते रहें हों लड़ने से,
शायद डरते हों टूटने से बिखरने से,
कास तुमने हीरे के बनने की कहानी सुनी होती,
हीरो के कटने के बाद उसके चमक की रूहानी सुनी होती।-