आज बिन मौसम बरसात आई है
अपने संग में तेरी कुछ यादें साथ लाई है
बरसती हुई बूँदों ने हमसे पूछा कैसे हो
इन बूँदों के बीच आंखे मेरी भर आई है-
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@shubhamsharma6126
उसकी खुशबु रम गयी है मेरी इस कमीज पर
ये कमीज मेरी पसंदीदा होगई-
मैं अपने वक़्त से कुछ वक़्त चुराता हूं
तुम्हारी यादों संग कुछ वक़्त गुजारने के लिए
पर ना जाने क्यूँ वक़्त नहीं मिलता
उस वक़्त के साथ थोडा वक़्त गुजारने के लिए-
तुम आए नहीं अभी तक
इन्तेज़ार में कई रात डूबी है
नशे में की हुई
तुम्हारी हर बात झूठी है
सिर्फ तुमसे मिलने की चाह में
सारी क़ायनात मुझसे रूठी है
रूठी है क़ायनात तो रूठने दो
मुझे तेरी यादों की एक और रात जरूरी है-
एक लौ है इसके जैसी
एक लौ है मेरे अंदर
जो बदलती है मेरे
नजरिये को अंदर ही अंदर-
छीन लूँगा मैं खुदसे खुशी अपनी
सामने जब वो मेरे आएगी
हिम्मत कर पूछूँगा उससे
अब क्या मुझसे मेरा ले जाओगी
गवा बैठा हू सबकुछ अपना
अब कुछ बचा नहीं मेरे पलडे मेें
सफर बचा है आखिरी पलक तक का
मेरी जिंदगी नहीं अब मेरे कब्ज़े मे-
मैं तुझे ढूँढता हूँ हर जर्रे में
मुझे हर बार नाकामयाबी हाथ लगती है
तू मिल जाए ग़र एक बार
मैं इस दुनिया को बतला पाऊ की मैं इतना भी बुरा नहीं — % &-
एक सवाल है
इस मन मे क्यूँ उछाल है
बैठते है हम ख़ुदके किनारे रोज
रोज हम करते यही सवाल है ।
जवाब देही दिमाग से होती है
खुदको फुसला लेना हमारी ही एक चाल है
अपनी ही कहानियो से हम अंजान है
करते हम ख़ुदसे रोज एक सवाल है ।— % &-
अब जिंदगी ये खेल खिला रही है
के उसकी याद में रोजाना शराब पिला रही है
बुरी किस्मत का आलम ये है हमारी
कि लोग अगली पर जा रहे है और हम अपनी
पहली ना भुला पा रहे है
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