Shubham Sharma   (Shubham Sharma)
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Joined 4 May 2020


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10 JUN AT 21:19

धारा को किनारों से मोहब्बत हो भी जाए तो क्या हो,
ये दिल यूँ ही परेशान हो भी जाए तो क्या हो,
तुम चल दिये एक नयी राह पर साथी छोड़कर,
अब हमेशा के लिए बिछड़ भी जाए तो क्या हो |

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6 JUN AT 22:21

अपनी उम्मीदों की आखिरी उम्मीद हूँ मैं खुद, ये दुनिया तो बस एक हवा का झोंका है |

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6 JUN AT 22:17

जरूरी नहीं कि हर बार लौट आए कभी कभी हमसफ़र हमेशा के लिए बिछड़ जाते 😢

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3 JUN AT 21:34

कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ गवां बैठे
सितारों की चाहत में आसमान गवां बैठे
वो छोड़ कर चले गए थे हमारी महफिल को
एक हम हैं जो हमेशा के लिए मुस्कान गवां बैठे

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5 APR AT 21:09

बेवफा किस्मत ने कुछ इस तरह उड़ाया है मज़ाक मेरे ज़ज्बात का,
मैंने कुछ और बोला, मतलब कुछ और निकल गया मेरी बात का |

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5 APR AT 0:54

सर्द हवाओं के झोंकों से कुछ तरु भी शाख हो गए
सुलग उठी चिंगारी तो राख हो गए,
दर्द उसका भी बताया नहीं गया,
मोहब्बत तो बताई गयी, पर ये ना बताया गया कि बर्बाद हो गए |

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26 MAR AT 7:58

जरा ये धूप ढल जाए तो हाल पूछेंगे,
अपने ही साए से कुछ सवाल पूछेंगे,
क्यों समय समय पर बदल लेता है अपनी फितरत,
छोड़ कर साथ अंधियारे में किधर जाता ये,
मन की सारी बात सारा हाल पूछेंगे,
अपने ही साए से कुछ सवाल पूछेंगे |

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25 FEB AT 16:42

उम्मीद का एक चेहरा लेकर जी रहा हूँ,
खुद पर खुद के पहरे लेकर जी रहा हूँ,
कभी हँसना, कभी मुस्कुराना तो कभी रो देना,
ना जाने ज़ख्म कितने गहरे लेकर जी रहा हूँ,
और चल रहा हूँ फिर भी उसी चाल से,
मंजिल तो बिखर गयी, रास्तों का होकर जी रहा हूँ |

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16 FEB AT 22:26

मैं कुछ इस तरह लिखूँगा खूबसूरती उसकी अपनी कहानी में, कि बसंत भी शर्मा जाएगा,
और क्या क्या कहूँ बस इतना समझ लो पढ़ेगा जो उसे तो लगेगा कि चांद धरा पर आ जाएगा |

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8 FEB AT 8:17

अब फूल नहीं चाहिये हमे कांटों से प्यार है,
मंजिल की फिक्र नहीं अब राहों से हमे प्यार है,
उगता सूरज देखूँ या देखूँ ढलती शाम,
फिक्र नहीं उजाले की हमे अंधेरे से प्यार है |

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