Shubham Sharma   (Shubham Sharma)
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Joined 4 May 2020


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5 APR AT 21:09

बेवफा किस्मत ने कुछ इस तरह उड़ाया है मज़ाक मेरे ज़ज्बात का,
मैंने कुछ और बोला, मतलब कुछ और निकल गया मेरी बात का |

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5 APR AT 0:54

सर्द हवाओं के झोंकों से कुछ तरु भी शाख हो गए
सुलग उठी चिंगारी तो राख हो गए,
दर्द उसका भी बताया नहीं गया,
मोहब्बत तो बताई गयी, पर ये ना बताया गया कि बर्बाद हो गए |

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26 MAR AT 7:58

जरा ये धूप ढल जाए तो हाल पूछेंगे,
अपने ही साए से कुछ सवाल पूछेंगे,
क्यों समय समय पर बदल लेता है अपनी फितरत,
छोड़ कर साथ अंधियारे में किधर जाता ये,
मन की सारी बात सारा हाल पूछेंगे,
अपने ही साए से कुछ सवाल पूछेंगे |

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25 FEB AT 16:42

उम्मीद का एक चेहरा लेकर जी रहा हूँ,
खुद पर खुद के पहरे लेकर जी रहा हूँ,
कभी हँसना, कभी मुस्कुराना तो कभी रो देना,
ना जाने ज़ख्म कितने गहरे लेकर जी रहा हूँ,
और चल रहा हूँ फिर भी उसी चाल से,
मंजिल तो बिखर गयी, रास्तों का होकर जी रहा हूँ |

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16 FEB AT 22:26

मैं कुछ इस तरह लिखूँगा खूबसूरती उसकी अपनी कहानी में, कि बसंत भी शर्मा जाएगा,
और क्या क्या कहूँ बस इतना समझ लो पढ़ेगा जो उसे तो लगेगा कि चांद धरा पर आ जाएगा |

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8 FEB AT 8:17

अब फूल नहीं चाहिये हमे कांटों से प्यार है,
मंजिल की फिक्र नहीं अब राहों से हमे प्यार है,
उगता सूरज देखूँ या देखूँ ढलती शाम,
फिक्र नहीं उजाले की हमे अंधेरे से प्यार है |

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6 FEB AT 13:36

लिखना चाहता दिल की बात या फिर कोई अरमान लिखूँ ,
उसको मैं प्रिय लिखूँ या फिर उसका नाम लिखूँ,
बदनसीबी लिखूँ किस्मत की या फिर ये गुमान लिखूँ,
संग में थे कुछ साल जिए या फिर अधूरा मुकाम लिखूँ,
उसको मैं प्रिय लिखूँ या फिर उसका नाम लिखूँ |

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29 JAN AT 22:19

सीने में उम्मीद लिए उम्मीद छोड़ आया,
अपाहिजों की बस्ती में पैरों के निशान छोड़ आया,
खुद तो आ गया, पर उसकी गली में खुद को छोड़ आया,
वो बेख़बर थी जिस नजर से, आँखे तो लौट आई पर वो नजर छोड़ आया |

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26 JAN AT 7:55

जिसके लौट आने की ख्वाहिश होती है बार बार, उसे मैं अक्सर बचपन कहता हूँ |

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22 JAN AT 10:07

अगर आप किसी और के निर्भरता का सुख प्राप्त करने की कोशिश करेंगे तो सिर्फ दुख ही आएगा कोई भी सदैव के लिए आपका नहीं है इसलिए सुख केवल अनश्वर मे खोजना चाहिए जो कभी दूर ना जिसे खोने का डर ना हो |

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