ना मिलाया कर तू कंधा मर्दों से
तू मर्यादा में रहे, ज़माने को छोटा कर...-
ये जो सो गया है सदा के लिए
मेरे हाथ महसूस करना इसकी धड़कन चाहते हैं
क्या कहा ये नामुमकिन है..
तो विरह के ये आसू भी अब जंग चाहते हैं-
कुछ ही देर तो रोकना है सूरज को
और ज्यादा कुछ नही
बस जी भर के ही तो देखना है उसे
मेरा इरादा और कुछ नही-
उसके गालों पर गुलाल लगाना तो बस सपना ही रह गया मेरा
और उसकी ज़ुल्फ़ें हैं कि चूमने से बाज़ नहीं आती-
ऐसे अंधेरे छाए हैं ज़िंदगी में
कि दिन के उजाले में भी कुछ नज़र नही आता
सारी रौनकों तो इस कदर रूठ चुकी हैं मुझसे
अब ये चेहरा तस्वीरों में भी खुश नज़र नही आता
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जिसे है सारी दुनियाँ का प्यार एक ही शख्स से
फिर उसे हर किसी से शिकायत क्यूं है
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नही है तुझे मेरा होने की जरूरत
उम्र बिताने को तेरी तस्वीर ही काफी है-
जान लगा कर जीना पड़ता है, जान जाने से पहले
आसमान से उतरना पड़ता है, आसमान में जाने से पहले-
नही देखे जाते मुझसे ये मुश्कुराते हुए चेहरे
मेरी हाय लगे इन्हें, इन्हें भी इश्क हो-
मेरे दिये हुए तोहफों की तुम कीमतें अदा करो
जितनी मैं तुमसे करता हूं, तुम भी मुझसे उतनी वफ़ा करो-