Shubham Pandey gagan   (Shubham)
209 Followers · 69 Following

read more
Joined 1 April 2018


read more
Joined 1 April 2018
29 JAN 2022 AT 13:00

गया है छोड़ मुझको जो भुलाया भी नहीं जाता।
दिए है ज़ख्म तुमने जो दिखाया भी नहीं जाता
उसी का चेहरा आँखों में मेरे है बसा ऐसे
किसी भी गैर से ये दिल लगाया भी नहीं जाता।।

::-शुभम पांडेय गगन

-


20 JAN 2022 AT 18:12

कई दफा जब
मैं घण्टों बैठ कर
मोबाइल में उंगलियां
फिराता रहता और तब मां कहती
रख दे फ़ोन थक गया होगा,
उसे भी आराम चाहिए ।।
मैं सोचता हूँ कि
कैसे समझाऊँ
माँ ये मशीन है,आराम नहीं करती
मगर माँ तो माँ है
उसकी नज़र में सबको आराम चाहिए
सिवाय उसके
जो हमेशा बस काम करती बिना रुके।।

:-शुभम पांडेय गगन

-


5 JAN 2022 AT 14:35

वो जो चलते चलते रुक जाती थी
पलटती थी
और मिलती थी जब
उसकी बड़ी बड़ी आँखें
मेरी आँखों से
उसकी वो क़ातिलाना हँसी
सच बताऊँ उस समय लगता था
मुझे इस दुनिया की सबसे बड़ी अमानत
मिल गयी है
और मैं बन गया
सबसे अमीर।।

नीचे अनुशीर्षक देखे----

-


1 JAN 2022 AT 0:24

नये वादे नई कसमें नया विचार आया है
ज़माने में नई खुशियाँ नया त्यौहार आया है
मिले हिन्दू मिले मुस्लिम मिले जीसस या पंजाबी
मिलें सब ही गले सबके लगे परिवार आया है।

-- शुभम पाण्डेय गगन

समस्त देशवासियों को आंग्ल नव वर्ष की बहुत शुभकामनाएं।

-


15 NOV 2021 AT 20:11

उम्मीद की डोर से बँधा हुआ आदमी भी बहुत कुछ कर गुज़रता है कभी-कभी!
--मन्नू भंडारी
(महाभोज)

-


30 OCT 2021 AT 8:06

वो ज़रा ज़रा सी बात पर रूठ जाती है
उसकी ये अदा भी मुझे बड़ी भाती है ।।

--शुभम पांडेय गगन

-


24 OCT 2021 AT 17:47

कई चाँद इंतज़ार कर रहे
धरती के चाँद का।

-शुभम पांडेय गगन

-


10 OCT 2021 AT 20:16

हमारी तुम जरूरत थी मगर तुमने नहीं समझा
मुहब्बत थी दिखावा ना मगर तुमने नहीं समझा
नहीं कटती मेरी रातें नहीं बीते मिरे अब दिन
रही रोती मिरी आँखे मगर तुमने नहीं समझा।

---शुभम पांडेय गगन

-


10 OCT 2021 AT 10:32

मैं
उसे हमेशा बचाना
चाहता था
बुरी नज़रों से
क्योंकि मैं जानता
वो नहीं पहचान पाती
अंदर छुपे हैवानों के
बाहर सुंदर दिखने वाले चेहरे
और मधु टपकाती ज़ुबानों को
मैं उसे
सहेजना चाहता
जिससे फिर न भीगे
उसके सुंदर कोंपल।

मैं उसे देखना
चाहता हूँ
उसके सपनों की
गोद में
उस कपड़े में जिसमे आना
उसका सपना मेरा सपना।

मैं
उसका हाथ पकड़ कर
चलना चाहता
सफलता की क्षितिज तक
उस समय तक
जब हम दोनों
अपने सफ़ेद बालों और झुर्रियों
में हो और दिल मे
प्रेम हो वही जो
बीस की उम्र में था।

-


29 SEP 2021 AT 19:14

दिल टूटा मगर जिस्म मगर अभी बाकी था
मेरे दिल में उसके लिए प्यार अभी बाकी था
चाहते तो उसको बदनाम कर भी देते मग़र
हमारे दिल में वसूल, अहमियत संस्कार बाकी था।

--शुभम पांडेय गगन

-


Fetching Shubham Pandey gagan Quotes