मैने अपनोंको आजमाया तो पराए बेहतर लगने लगे,
शायद मैं भी किसिका ऐसा पराया बनू जो उसे अपनोंसे बेहतर लगे...!¡!-
आकांक्षांनी भरलेल्या दिप - पहाटी,
की रिक्त भासांच्या भरदुपारी...
'ती'च्या आठवणीतल्या गुलाबी संध्याकाळी,
की आईच्या कुशीत दमल्या रात्री...
खरंतर कधीही सुचते कविता,
येऊन बसते माझ्या पुढ्यात मलाच न कळवीता...
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कुछ हड़बड़ाहट में निकल गई वो आज सुबह,
बिना कुछ कहे, बिना कुछ बताएं
में दिनभर, हर पल, हर समय सोचता रहा क्या हुआ होगा,
वो कह गई के उसके पास चंद पल भी नही इन सब चीज़ों के लिए...!¡!-
Bohot arso sein tumhare bare mein likha nahi,
Iska batlab ye nahi ke tumhe humne socha nahi...
Bass shayad labzo ne tumhari baatein chhod di,
Chhodna tumhari yaado ko mujhse hua nahi...!¡!-
ज़िंदगी में कुछ पल आएंगे ऐसे,
इन्हिमें तो ज़िंदगी हैं लगेगा जैसे...
वों पल बीत जायेंगे, दिन ढल जायेगा,
लेकिन उन्ही पलो के सहारे, कुछ और साल तुम बिताओगे वैसे... !¡!-
में तुम्हारे साथ नहीं...
आंखें खोलकर देखतो जरा आजुबाजू
वहितो हैं, बस तुम्हें एहसास नहीं...
माना के अभी थोड़ी रूठी हुई हैं,
लेकीन उसे मनाना तुम्हारे बस के बहार तो नहीं...
ज़िन्दगी ने कब कहा
में तुम्हारे साथ नहीं...!¡!-
ए खुदा बस अब वापस अंधेरा मत कर देना,
हो भी जाए अंधेरा अगर,
तो उजाला लानेमें देर मत लगा देना...
अब हर रास्ता बस तेरे तक जाता हैं,
बस तू रास्तेमें हात थामे खड़े रहना मत भूल जाना...!¡!-
तुमने लगाया हुआ रंग
चहरे पर लेकर घुमलेता हूं शहरमें,
उसे देखकर कोई और रंग लगाताही नहीं हैं
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क्यूके तुम्हारी जितना कोई और रंग
मुझपर चढ़ता ही नहीं हैं...!¡!-
दर्द भुलाने के लिए दर्द लिखूं तो लोग कहते हैं सिर्फ दर्द लिखते हो...
लेकिन अब यह कोन बताए, के दर्द लिखने से जो दर्द बढ़ता हैं, उसमे कितनी खुशी छुपी होती हैं...!¡!-
तुम मोहब्बतका पैगाम लेकर निकल पड़ते हो उसके पिछे,
वह तुम्हें देखकर भी अनदेखा कर देती हैं...
तुम मोहब्बत मोहब्बत के नारे लगाते हो,
वह तुम्हारा उसकी ज़िन्दगीमें होना भी ना होने बराबर बतलाती हैं...!¡!-